tag:blogger.com,1999:blog-69314374412150108812024-03-18T12:59:24.559+05:30यश पथ (Yash Path)मन की देहरी पर उभरे कुछ शब्द, कुछ बातें Yashwant R. B. Mathurhttp://www.blogger.com/profile/06997216769306922306noreply@blogger.comBlogger1229125tag:blogger.com,1999:blog-6931437441215010881.post-47169488988909081462024-03-15T19:49:00.009+05:302024-03-15T19:49:59.416+05:30हम सब सो रहे हैं....लगता हैजैसे इस मतलबी दुनिया मेंअपने भूतऔर भविष्य को भूल करसिर्फ वर्तमान को ढो रहे हैंगहरी नींद के आगोश मेंहम सब सो रहे हैं।नहीं मतलब इससे कि क्या हो रहा है-क्या नहीं सिरहाने तकिये में दबे सपने खो रहे हैं गहरी नींद के आगोश मेंहम सब सो रहे हैं।यह और बात है कि दिन भले शवाब पर हो निहत्थे दरख्त भी हर सू रो रहे हैं गहरी नींद के आगोश मेंहम सब सो रहे हैंYashwant R. B. Mathurhttp://www.blogger.com/profile/06997216769306922306noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-6931437441215010881.post-1475429669783665522024-03-02T20:21:00.002+05:302024-03-02T20:35:15.407+05:30टैक्स पेयर कौन?अक्सर हम पढ़ते-सुनते हैं कि टैक्स पेयर के पैसे से जो सुविधाएं सरकार आम जनता को देती है उनमें से अधिकांश बेवजह हैं। खासकर बात जब मुफ्त बिजली, राशन और अन्य सुविधाएं देने की आती है तब संभ्रांत वर्ग के अधिकांश लोग 'टैक्स पेयर के पैसे' का तर्क देने लगते हैं क्योंकि उनका मानना है कि देश के चुनिंदा अमीर लोग सरकार को टैक्स देते हैं जिसका बेजा लाभ सरकार मुफ्त सुविधाओं के रूप में आम जनता को देती है या Yashwant R. B. Mathurhttp://www.blogger.com/profile/06997216769306922306noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-6931437441215010881.post-41145282799572371052024-02-11T14:30:00.001+05:302024-02-16T21:29:21.079+05:30कहा नहीं जा सकता...अनिश्चित जीवन कब थम जाएकबस्मृतियों के अवशेष दे जाएकहा नहीं जा सकता।कहा नहीं जा सकताकि कब ये शब्द लिखती हुई उंगलियांकांपने लगेंहोठ थरथराने लगेंआंखें प्रिय को ढूंढने लगेंऔर सांसेंउखड़ने लगें।कहा नहीं जा सकताकि कबसुबह एक पल में बदल जाएसूर्योदय के साथ हीसूर्यास्त भी दस्तक दे जाए।कहा नहीं जा सकताकि कबअपनी धुरी पर घूमती धरतीकिसी धूमकेतु से टकराएऔर पल दर पलबीतता हुआसमय Yashwant R. B. Mathurhttp://www.blogger.com/profile/06997216769306922306noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-6931437441215010881.post-45241466040968110372024-02-04T13:54:00.002+05:302024-02-04T14:23:32.524+05:3040 पार के पुरुष - 2जिम्मेदारियों का बोझा ढोते 40 पार के पुरुषजीवन के तिलिस्मी रंगमंच परचाह कर भी नहीं निभा सकतेखुद का मन पसंद किरदारवो तो बसकठपुतली होते हैंनाचते रहते हैं किसी और की थामी हुई डोर के सहारेढूंढते रहते हैं किनारेकरते रहते हैंपुरजोर कोशिशें जानकर की हुई अनजान गलतियों के निशान मिटाने की।40 पार केकुछ पुरुषों कीपटकथा फूलों के सपनोंऔर कांटों की वास्तविकता को खुद Yashwant R. B. Mathurhttp://www.blogger.com/profile/06997216769306922306noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-6931437441215010881.post-83634350233415307902024-02-01T20:38:00.001+05:302024-02-01T20:38:18.727+05:30एक नई शुरुआत करें...मुश्किल भूलनाबीता काल मगरफिर चलने की बात करेंएक नई शुरुआत करें।जीवन खुद में कठिन गणितजिसका हलहालात करेंएक नई शुरुआत करें।सूर्योदय कर रहा प्रतीक्षाउजास सेहर रात भरें।एक नई शुरुआत करें।-यशवन्त माथुर©- एक निवेदन-
इस ब्लॉग पर कुछ विज्ञापन प्रदर्शित हो रहे हैं। आपके मात्र 1 या 2 क्लिक मुझे कुछ आर्थिक सहायता कर सकते हैं। मेरे अन्य ब्लॉग Everyday Life PhotosLane of Yashwant R. B. Mathurhttp://www.blogger.com/profile/06997216769306922306noreply@blogger.com4tag:blogger.com,1999:blog-6931437441215010881.post-74287619852835698992024-01-11T21:34:00.003+05:302024-01-11T22:18:59.522+05:30पॉलीकैब इंडिया के शेयर गुरुवार को 21% की गिरावट के साथ बंदपॉलीकैब इंडिया के शेयर गुरुवार को 21% की गिरावट के साथ बंद हुए, जिससे 2024 की शुरुआत के बाद से उनकी गिरावट बढ़ गई। आयकर विभाग ने बुधवार को एक बयान जारी किया जहां उसने एक केबल और तार निर्माण कंपनी में तलाशी अभियान की बात कही।मंगलवार को जब खोज अभियान की रिपोर्ट पहली बार सामने आई थी तब पॉलीकैब के शेयरों में 9% की गिरावट आई थी। कंपनी ने उस शाम बाद में एक बयान जारी कर अपनी ओर से किसी भी कथित कर चोरी Yashwant R. B. Mathurhttp://www.blogger.com/profile/06997216769306922306noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-6931437441215010881.post-47933504695658178332023-12-20T19:52:00.001+05:302023-12-20T19:52:08.198+05:3040 पार के पुरुष -- 1यूं तो 40 पार के कई पुरुष पा चुके होते हैं मनचाहा मुकाम लेकिन उनमें भी कुछ रह ही जाते हैं अधूरी इच्छाओं को साथ लिए क्योंकि उनके संघर्ष उनकी महत्वाकांक्षाओं से कहीं अधिक बड़े होते हैं जिनकी पूर्णता की जद्दोजहद में वो उठते हैं- गिरते हैं गिरते हैं-उठते हैं 40 पार के संघर्षशील पुरुष अपने सफल हम उम्रों केसुफल देखते हुए बुनते हीYashwant R. B. Mathurhttp://www.blogger.com/profile/06997216769306922306noreply@blogger.com6tag:blogger.com,1999:blog-6931437441215010881.post-6014702110391643002023-12-17T08:58:00.000+05:302023-12-17T08:58:54.475+05:30देहरी पर अल्फ़ाज़ ...... 1वक़्त की देहरी को पार करने की कोशिश करते अल्फ़ाज़ कभी-कभी अव्यक्त -अधूरे और छटपटाते ही रह जाते हैं हजार कोशिशों के बाद भी जैसे दबा दिया जाता है उन्हें सिर्फ इसलिए कि अगर उन्हें कह दिया गया तो देखना न पड़ जाए निर्माण से पहले विध्वंस का रौद्र रूप। -यशवन्त माथुर©17 12 2023एक निवेदन- इस ब्लॉग पर कुछ विज्ञापन Yashwant R. B. Mathurhttp://www.blogger.com/profile/06997216769306922306noreply@blogger.com4tag:blogger.com,1999:blog-6931437441215010881.post-18590643194610487312023-12-10T15:43:00.000+05:302023-12-10T15:43:02.320+05:30वक़्त के कत्लखाने में-23 डर है कि कहीं जश्न के जलसों कहीं ग़म की बातों के साथ आकार लेते नि:शब्द से शब्द कुछ कहने की जद्दोजहद करते हुए कैद ही न रह जाएं हमेशा के लिए वक़्त के कत्लखाने में। -यशवन्त माथुर©
10122023 Yashwant R. B. Mathurhttp://www.blogger.com/profile/06997216769306922306noreply@blogger.com3tag:blogger.com,1999:blog-6931437441215010881.post-73762914248301056482023-12-07T19:13:00.000+05:302023-12-07T19:13:02.189+05:30माथुर - उनका सांस्कृतिक इतिहास_ शिव कुमार माथुर माथुर - उनका सांस्कृतिक इतिहास इरावती और श्री चित्रगुप्त के पहले पुत्र के रूप में जन्मे, चारु वह नाम था जो माता-पिता ने दिया था (पहले चारु का उपनाम थंगुधर भी रखा गया था), और मथुरा वह नाम था जो उन्होंने मथुरा और उसके आसपास के 84 गांवों में प्रारंभिक बस्ती के स्थान से लिया था। पुनः स्मरण करने के लिए, मथुरा सहित सभी कायस्थ आज के उज्जैन के पास कायथा से चले गए, और शुरू में मथुरा के आसपास बसने के लिए Yashwant R. B. Mathurhttp://www.blogger.com/profile/06997216769306922306noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-6931437441215010881.post-18898118804601601652023-12-06T19:48:00.000+05:302023-12-06T19:48:23.624+05:30श्रीवास्तव कायस्थों का सांस्कृतिक इतिहास - उदय सहायश्रीवास्तव कायस्थों का सांस्कृतिक इतिहास - उदय सहायपौराणिक स्रोतों के अनुसार, नंदिनी (सुदक्षिणा) और श्री चित्रगुप्त के प्रथम पुत्र थे कायथा (उज्जैन) में जन्में भानु, जिन्हें श्रीवास्तव कहा गया और उनका उपनाम धर्मध्वज था। उनका विवाह नाग वासुकि की पुत्री नागकन्या पद्मिनी (नाग वासुकि का प्राचीन मन्दिर प्रयागराज में है), और एक देवकन्या से भी कायथा में हुआ। विवाह के पश्चात कायथा से वह कश्मीर के झेलम Yashwant R. B. Mathurhttp://www.blogger.com/profile/06997216769306922306noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-6931437441215010881.post-80367792199850087402023-11-19T10:53:00.003+05:302023-11-19T10:53:32.383+05:30किस देहरी पर अल्फाज़ लिखूं?मन के भीतर की उथल पुथल लिखूं या टूटे दिल के राज़ लिखूंउड़ते उड़ते जो गिर पड़ाक्या उसकी परवाज़ लिखूंकिस देहरी पर अल्फाज़ लिखूं?जिसको अपना माना समझाउसके दिए ऐसे दिनों मेंक्या अपना पल छिन गिनूंया इसी एकांत वास मेंलौट आती आवाज़ बनूंकिस देहरी पर अल्फाज़ लिखूं?दूर श्मशान से उठते धुंए मेंअपनी चिता मैं आप बनूंया बची हुई राख मेंफिर किसी का राज़ रखूंकिस देहरी पर अल्फाज़ लिखूं?यशवन्त माथुर09 Yashwant R. B. Mathurhttp://www.blogger.com/profile/06997216769306922306noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-6931437441215010881.post-81220579810999646692023-10-10T17:11:00.000+05:302023-10-10T17:11:35.952+05:30दिवंगत बच्चों के प्रति.......फलस्तीन केदिवंगत नन्हे बच्चों!मैंने देखीतुम्हारे मां पिता की गोद मेंतुम्हारी मृत देहजो या तो दफना दी गई होगीया दफना दी जाएगीकहीं किसी कब्र मेंऔर उसके साथ हीदफन हो जाएंगीसंवेदनहीन समाज कीसूखी आंखें।प्यारे बच्चों!मैं तुम्हारे लिएकुछ कर नहीं सकता(अफसोस)लेकिन रो सकता हूंकहीं किसी कोने मेंतुम्हारी आत्माओं कोशांति मिलने तक...कर सकता हूं दुआएंकि अगले जन्म मेंदेवदूतों के रूप मेंतुम सबइस जमीं परफिर Yashwant R. B. Mathurhttp://www.blogger.com/profile/06997216769306922306noreply@blogger.com4tag:blogger.com,1999:blog-6931437441215010881.post-12064128637765569832023-09-04T19:21:00.005+05:302023-09-04T19:21:53.869+05:30उजालों की तलाश में........उजालों की तलाश में आया था, अंधेरे मिले।जब अंधेरे पसंद आए, सुनहरे सवेरे मिले।और फिर ऐसा ही अक्सर होता गया।जो अच्छा लगता, दूर होता गया।चाहत फूलों की की, गले कांटे मिले।हर कदम पे झूठे वादे मिले।किसी ने कहा था कि फरिश्ता हूं मैं।दोस्ती का सच्चा रिश्ता हूं मैं।मगर अब जान पाया, कि सिर्फ छला ही गया।एकतरफा खुद ही था, मिला ही क्या।मिल कर सब रंग भी, बे रंग ही मिले।बंद मुट्ठी में बचे सिर्फ शिकवे- गिले।.- Yashwant R. B. Mathurhttp://www.blogger.com/profile/06997216769306922306noreply@blogger.com5tag:blogger.com,1999:blog-6931437441215010881.post-69523747468901527242023-08-26T19:38:00.006+05:302023-08-26T19:38:55.546+05:30क्या कोई समझेगा ......?क्या कोई समझ पाएगाउस मासूम मन काअंतर्द्वंद्व जिसका आवरणबंटा हुआ हैअनंत मानव निर्मितव्यवहारों में।क्या कोई समझा पाएगाउस मासूमकोमल चेहरे का दोषजिस पर पड़ते चांटों की आवाज़ सेगूंजते सामाजिक माध्यमों ने हीजन्म दिया हैइस वैमनस्यता को।नहींकोई नहीं समझेगाउसका दर्दकोई नहीं समझाएगापरिणामइस भयावहता केक्योंकिहमारे ज्ञानहमारी संस्कृति से ऊपर हो चले पूर्वाग्रहों के Yashwant R. B. Mathurhttp://www.blogger.com/profile/06997216769306922306noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-6931437441215010881.post-85008456228930451842023-08-15T06:03:00.003+05:302023-08-15T06:03:00.133+05:30प्यासा भूखा पंद्रह अगस्त.........-यश मालवीय ©सुविख्यात कवि एवं रचनाकार आदरणीय यश मालवीय जी की ताजा कवितासूखा सूखा पंद्रह अगस्तप्यासा भूखा पंद्रह अगस्तमर गया आंख का पानी हैकिस्सा किस्सा बलिदानी हैहंसते से महल दुमहले हैंटूटी सी छप्पर छानी हैपेशानी चिन्ता से गीलीरूखा रूखा पंद्रह अगस्तफिर संविधान की बातें हैंभारत महान की बातें हैंरमचरना का चूल्हा ठंडाबस आन बान की बातें हैंवंदन करता आज़ादी काहारा चूका पंद्रह अगस्तखादी में सब कुछ खाद हुआतब कहीं Yashwant R. B. Mathurhttp://www.blogger.com/profile/06997216769306922306noreply@blogger.com7tag:blogger.com,1999:blog-6931437441215010881.post-72504553652159106702023-08-13T15:13:00.000+05:302023-08-13T15:13:16.092+05:30मजदूर हूं, मजबूर नहीं कल का हिसाब क्या रखूंआज का कुछ पता नहीं।बेवजह खफा होते हैं वोजब की कोई खता नहीं।यूं बैठे-ठाले दौरों के इस दौर मेंखानाबदोश हूं चलते फिरते ठौर में।फिर भी जो मैं हूं, मैं ही हूं आखिर।दुनियावी फितरतों में कोई फकीर नहीं।ये और बात है कोल्हू का बैल हूं, माना।मजदूर हूं अदना सा, लेकिन मजबूर नहीं।-यशवन्त माथुर©08072023Yashwant R. B. Mathurhttp://www.blogger.com/profile/06997216769306922306noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-6931437441215010881.post-68701198451284335772023-07-03T19:45:00.004+05:302023-07-03T19:45:54.721+05:30दर्द और दवा .....मुट्ठी भर दवाएं दर्द मिटा तो सकती हैं, मगरउस दर्द के कड़वे सबक बाकी रह ही जाते हैं।यूं हम को लगता है अब चलेंगे सीना तान करअनचाहे वक्त की बैसाखी बन ही जाते हैं।भले बे नतीज़ा रहे आखिरी पल, लेकिनबनके तस्वीर दीवार पे सज ही जाते हैं।यशवन्त माथुर24062023Yashwant R. B. Mathurhttp://www.blogger.com/profile/06997216769306922306noreply@blogger.com3tag:blogger.com,1999:blog-6931437441215010881.post-71776983185837501872023-04-30T11:32:00.003+05:302023-04-30T11:58:30.269+05:30बेटियाँ तो वो भी हैं ....वो जो जहाजों में उड़ती हैं जंगों में भिड़ती हैं साहस के कीर्तिमान बनाकर हर मैदान को जीतती हैं ...आज बैठी हैं पालथी मारकर अवशेष लोकतंत्र की देहरी पर, सिर्फ इस उम्मीद में कि हममें से कोई अगर जाग रहा हो ....अपने कर्मों से अगर न भाग रहा हो ..तो ऋचाओं , सूक्तों और श्लोकों की परिधि से बाहर निकल कर सिर्फ इतना मान ले और मनYashwant R. B. Mathurhttp://www.blogger.com/profile/06997216769306922306noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-6931437441215010881.post-82366861290908178492023-04-29T20:59:00.008+05:302023-04-30T05:51:23.553+05:30किससे कहूँ...? किससे कहूँ...? कि गुजरते वक़्त के किस्सों में, अपना हिस्सा मांगते-मांगते थक गया हूँ। किससे कहूँ...? कि अस्वीकृति को स्वीकार करते-करते, जिस राह चला था उससे भटक गया हूँ।किससे कहूँ...? कि कभी गाँव था, अब शहर बनते-बनते गहरी नींव के अंधेरे में उजाले को तरस गया हूँ। किससे कहूँ...? कि आदम हूँ तो देखने में ज़माने ने जम के मारा, बेअदब हो गया हूँ।Yashwant R. B. Mathurhttp://www.blogger.com/profile/06997216769306922306noreply@blogger.com3tag:blogger.com,1999:blog-6931437441215010881.post-20540213034848487932023-04-09T07:29:00.002+05:302023-04-10T19:14:50.843+05:30सुनो ......4सुनो! एक तिहाई अप्रैल बीतने को है... धूप अपने रंग दिखाने लगी है... बिल्कुल वैसे ही.... जैसे होली के बाद तुम पर भी चढ़ गया है..... बदली संगत का बदला हुआ रंग। तुमको पता हो या ना हो ...लेकिन ...मुझे हो चुका था पूर्वानुमान.... कि दूरियों के नए बोए हुए बीज नहीं लेंगे... ज्यादा समय अपना रूप बदलने में। सुनो! जरा याद करो मेरे वो शब्द ....जब मैंने कहा था कि आज जैसा एक दिन आएगा..... औरYashwant R. B. Mathurhttp://www.blogger.com/profile/06997216769306922306noreply@blogger.com3tag:blogger.com,1999:blog-6931437441215010881.post-53165268532349019672023-03-16T19:12:00.004+05:302023-03-16T19:13:10.755+05:30#Moon _ Some clicks by me-YashwantMathur©Yashwant R. B. Mathurhttp://www.blogger.com/profile/06997216769306922306noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-6931437441215010881.post-81882177896417048872023-03-13T19:35:00.000+05:302023-03-13T19:35:00.793+05:30सुनो ....... 3 सुनो! उस दिन तुमने कहा था ना .....कि मैं जलता हूँ। ....मैं चुप रहा था..... इसलिए नहीं..... कि मेरे पास जवाब नहीं था बल्कि.... इसलिए ....कि मैं चाहता था..... कि उस दिन जीत तुम्हारी हो। वैसे गलत तुमने कुछ कहा भी नहीं। पता है क्यों?.... क्योंकि मैं जलता हूँ ...हाँ मैं जलता हूँ ...आसमां में चमकते सूरज को देखकर ......मुझे होती है जलन.... कि मैं रोशनी नहीं दे सकता। ....... रात को चमकते चाँद Yashwant R. B. Mathurhttp://www.blogger.com/profile/06997216769306922306noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-6931437441215010881.post-29123610279593218662023-03-09T10:30:00.000+05:302023-03-09T10:30:49.959+05:30#sunset a few clicks by meयशपथ (www.yashpath.com)http://www.blogger.com/profile/17224814633410021374noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-6931437441215010881.post-25742326091673471642023-02-14T06:30:00.004+05:302023-02-14T06:30:00.149+05:30सुनो...... 2सुनो! आज प्रेम का त्यौहार है..... मैं अपने आस-पास देख रहा हूँ वो सारे चेहरे...... जो कल तक मुरझाए हुए थे लेकिन आज खिले हुए हैं...... वो चेहरे! जिनको मिल गया है प्रेम...... वो चेहरे! जिन्होंने महसूस किया है प्रेम..... और ... वो चेहरे! जिनके इर्द-गिर्द.... गुलाब की मासूम पंखुड़ियों ने कर दिए हैं..... अपने हस्ताक्षर। इन चेहरों के बीच... काश! एक दर्पण होता ......उस दर्पण Yashwant R. B. Mathurhttp://www.blogger.com/profile/06997216769306922306noreply@blogger.com3