लोक का त्योहार है
आओ चलें
तंत्र की यह पुकार है
आओ चलें
माना अलग विचार हैं
आओ चलें
धारा को जो स्वीकार है
आओ चलें
हर कोई होशियार है
आओ चलें
इससे पहले कि पछताएँ
आओ चलें
इस काम में क्यों शरमाएँ
आओ चलें
आओ चलें आओ चलें
आओ चलें
मतदान का कर्तव्य
हर हाल में पूरा करें
आओ चलें ।
~यशवन्त यश©
आओ चलें
तंत्र की यह पुकार है
आओ चलें
माना अलग विचार हैं
आओ चलें
धारा को जो स्वीकार है
आओ चलें
धूप या बरसात में
आओ चलें
बर्फ की बौछार में
आओ चलें
हर वेश में परिवेश में
आओ चलें
स्वतन्त्रता तैयार है
आओ चलेंहर कोई होशियार है
आओ चलें
इससे पहले कि पछताएँ
आओ चलें
इस काम में क्यों शरमाएँ
आओ चलें
आओ चलें आओ चलें
आओ चलें
मतदान का कर्तव्य
हर हाल में पूरा करें
आओ चलें ।
~यशवन्त यश©