22 June 2025
अवशेष
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हाँ यह सुनिश्चित है कि अंततः अगर कुछ बचा तो वह अवशेष ही होगा अधूरी या पूरी हो चुकी बातों का उनसे जुड़े दिनों का या रातों का। हाँ ...
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07 June 2025
चमकना इतना नहीं चाहता ....................
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चमकना इतना नहीं चाहता कि चौंधिया जाओ तुम बस तमन्ना इतनी है कि धरती को छूता रहूँ। यूं तलवार की धार पर चलता तो रोज ही हूँ मगर बनकर कोई...
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17 April 2025
कुछ लोग-59
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कुछ लोग मन में द्वेष जुबान पर अपशब्द और रूप में मासूमियत लिए कराते हैं एहसास अपनी कड़वी तासीर का। ऐसे लोगों की चाहत होती है कि वो आगे हो स...
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13 March 2025
रंग
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यूं तो बहुत कुछ स्याह - सफेद लगा ही रहता है जीवन में बने रहते हैं कुछ दर्द हमेशा के लिए फिर भी आते-जाते चलते-फिरते हमारा वास्ता ...
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02 February 2025
बस इतना वर मिले .....
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जो घूम रहा लावारिस बचपन बना रहे उनका लड़कपन बस इतना वर मिले हर मुरझाया चेहरा खिले। हो विस्तार सिमटी समृद्धि का न किसी को भेद भाव मि...
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23 January 2025
दोराहे
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अक्सर जिंदगी के किसी मोड़ पर चलते चलते हम खुद को पाते हैं एक ऐसे दोराहे पर जहां दिल और दिमाग में बसी हमारी थोड़ी सी समझ लड़खड़ाने लगती ...
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18 January 2025
फुटपाथ ....
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कानों में गूँजती अनगिनत स्वर लहरियों के साथ कहीं रास्ते पर चलते कदम अक्सर ठिठक कर रुक जाते हैं जब नज़रों के सामने फुटपाथ आ जाते हैं। ...
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17 January 2025
हम क्यूँ उलझ रहे ?
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हम क्यूँ उलझ रहे आपसी द्वन्द्व में ? अपनी महत्वाकांक्षाओं के कारण क्यूँ बिगाड़ रहे रूप-रेखा- और सोच एक पूरी पीढ़ी की? आखिर भविष्य को ...
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11 January 2025
अपना सही पता दे......
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तू आसमां में है लेकिन अपना सही पता दे। कौन जात है तेरी धर्म क्या भाषा और अपना करम बता दे। हर कोई अपनी तरह पूजता। कोई सुंदर कोई कुरूप बूझता...
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