11 September 2025
इस दौर में.......
›
रसातल में कहीं खोती जा रही हैं हमारी भावनाएं, शब्द और मौलिकता। भूलते जा रहे हैं हम आचरण,सादगी और सहनशीलता। कृत्रिम बुद्धिमतता के इस दौर मे...
3 comments:
15 August 2025
आजादी के गीत गाएं
›
नई उमंगें , नई तरंगें अपना तिरंगा, आओ लहराएं आजादी के गीत गाएं। आजादी जो मिली तप से और अनेकों कुर्बानियों से सारी सच्ची कहानियों को आओ...
3 comments:
20 July 2025
चलता रहा
›
कदम गिने बगैर राह पर चलता रहा। बेहिसाब वक्त से सवाल करता रहा। लोग कोशिश करते रहे बैसाखी बनने की। सहारा जब भी लिया, मैं गिरता रहा। माना कि बे...
4 comments:
22 June 2025
अवशेष
›
हाँ यह सुनिश्चित है कि अंततः अगर कुछ बचा तो वह अवशेष ही होगा अधूरी या पूरी हो चुकी बातों का उनसे जुड़े दिनों का या रातों का। हाँ ...
4 comments:
07 June 2025
चमकना इतना नहीं चाहता ....................
›
चमकना इतना नहीं चाहता कि चौंधिया जाओ तुम बस तमन्ना इतनी है कि धरती को छूता रहूँ। यूं तलवार की धार पर चलता तो रोज ही हूँ मगर बनकर कोई...
2 comments:
17 April 2025
कुछ लोग-59
›
कुछ लोग मन में द्वेष जुबान पर अपशब्द और रूप में मासूमियत लिए कराते हैं एहसास अपनी कड़वी तासीर का। ऐसे लोगों की चाहत होती है कि वो आगे हो स...
2 comments:
13 March 2025
रंग
›
यूं तो बहुत कुछ स्याह - सफेद लगा ही रहता है जीवन में बने रहते हैं कुछ दर्द हमेशा के लिए फिर भी आते-जाते चलते-फिरते हमारा वास्ता ...
2 comments:
02 February 2025
बस इतना वर मिले .....
›
जो घूम रहा लावारिस बचपन बना रहे उनका लड़कपन बस इतना वर मिले हर मुरझाया चेहरा खिले। हो विस्तार सिमटी समृद्धि का न किसी को भेद भाव मि...
3 comments:
23 January 2025
दोराहे
›
अक्सर जिंदगी के किसी मोड़ पर चलते चलते हम खुद को पाते हैं एक ऐसे दोराहे पर जहां दिल और दिमाग में बसी हमारी थोड़ी सी समझ लड़खड़ाने लगती ...
3 comments:
›
Home
View web version