न हम होंगे न हमारी बात होगी
हर तरफ पानी से घिरी आग होगी
होगी एक बेचैनी ?
आग पानी में मिल जाएगी
या फिर
पानी को ही जला कर
मिटटी में मिला जाएगी
दुनिया देखती रहेगी
खड़े हो कर तमाशा
न सुबह होगी न दोपहर
न फिर रात ही कभी आएगी।
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