09 July 2010

न हम होंगे.......

न हम होंगे न हमारी बात होगी

हर तरफ पानी से घिरी आग होगी

होगी एक बेचैनी ?

आग पानी में मिल जाएगी

या फिर

पानी को ही जला कर

मिटटी में मिला जाएगी

दुनिया देखती रहेगी

खड़े हो कर तमाशा

न सुबह होगी न दोपहर

न फिर रात ही कभी आएगी।







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