13 July 2010

मेरे घर के सामने

कुछ मुर्गियां

खेलती हैं

आपस में

एक कतार में

एक साथ चलती हैं

और

पास के पानी से भरे गड्ढे में

लगाती हैं डुबकियाँ

वो काली हैं

कुछ सफ़ेद

और कुछ भूरी भी हैं

पर रंगभेद से बे परवाह

इंसानी धार्मिक और नस्लवादी

सोच से परे

वो लडती नहीं

बल्कि इठलाती हैं

अपने आत्म अनुशासन पर।

No comments:

Post a Comment