(चित्र :साभार गूगल ) |
फिर वही सुबह
दोपहर,शाम
और रात होगी
घूम फिर कर
फिर वही
बात होगी
होंगे वही किस्से
कहानियां और कविताएँ
अखबारों,चैनलों में
वही ख़बरें आम होंगी
जो सुनते आ रहे हैं हम
न जाने कब से .
बस होगा तो सिर्फ
नया अंदाज़ ए बयां होगा
पुरानी नींव पर खड़ा
नया सा ताज होगा
चाहें भले ही भूलना
मुमताज़ की कहानी को
झांसी की रानी को
मगर
शायद दिल में अब भी
कुछ आस होगी
नयी चाशनी में
पुरानी मिठास होगी.
ये तो वक़्त का पहिया है
घूमता ही रहेगा
चला था जहां से
फिर वहीं पे मिलेगा
हर अंत से एक
नयी शुरुआत होगी
घूम फिर कर
फिर वही
बात होगी.
(मैं मुस्कुरा रहा हूँ..)
यशवंत भाई, बहुत खूब। आपका अंदाज हमें पसंद आया।
ReplyDelete---------
मिलिए तंत्र मंत्र वाले गुरूजी से।
भेदभाव करते हैं वे ही जिनकी पूजा कम है।
यशवंत जी
ReplyDeleteनमस्कार !
ये तो वक़्त का पहिया है
घूमता ही रहेगा
चला था जहां से
फिर वहीं पे मिलेगा
..........बहुत खूब, लाजबाब !
तारीफ के लिए हर शब्द छोटा है - बेमिशाल प्रस्तुति - आभार.
.............अपनी तो आदत है मुस्कुराने की !
ReplyDeletenai post hai..
बहोत ही प्यारी प्रस्तुति.........
ReplyDeleteNischit hi..har ant me prarambh aur aagaz me anjaam chhhupa rehta h..sundar kavita
ReplyDelete5/10
ReplyDeleteहर अंत से एक / नयी शुरुआत होगी / घूम फिर कर / फिर वही
बात होगी.
सुन्दर कविता
आपकी रचना पसंद आई
भीतर का कथ्य प्रभावित करता है
हर अंत से एक नई
ReplyDeleteशुरुआत होगी
घूम फिर कर
फिर वही
बात होगी
वाह ...बहुत खूब, इसे कहते हैं कविता ।
har ant se ek nayee shruaat hogi,
ReplyDeleteghoom phir kar phir vahi bat hogi,
chahe na chahe kuchh ham kahna,
par lekhni hamari na hamare sath hogi...yashwant achha likh lete hain aap...
main apne blog ka title v tippaniya devnagri me likhna chahti hoon please margdarshan karen.
nice
ReplyDeleteहर अंत से एक
ReplyDeleteनयी शुरुआत होगी
घूम फिर कर
फिर वही
बात होगी.
सुंदर मनोभाव......आशावादी सोच ...
शायद दिल में अब भी
ReplyDeleteकुछ आस होगी
नयी चाशनी में
पुरानी मिठास होगी.
ये तो वक़्त का पहिया है
घूमता ही रहेगा
चला था जहां से
फिर वहीं पे मिलेगा
हर अंत से एक
नयी शुरुआत होगी
घूम फिर कर
फिर वही
बात होगी.
बहुत सुन्दर लगी आपकी यह कविता निहित मर्म मन को छू लेता है ....शुभकामनाएँ !
समय का पहिया तो चलता ही रहता है और चलता ही रहेगा…………बहुत सुन्दर भावाव्यक्ति।
ReplyDeleteबस होगा तो सिर्फ
ReplyDeleteनया अंदाज़ ए बयां होगा
पुरानी नींव पर खड़ा
नया सा ताज होगा
यशव्न्त जी आप सही बात पर मुस्कुरा रहे हैं। आज कल यही तो हो रहा है। बहुत अच्छी लगी रचना। बधाई।
आदरणीय जाकिर जी,संजय जी,आशीष जी,मोनाली जी,उस्ताद जी,महेंद्र जी,शिखा जी,शालिनी जी,मोनिका जी,रानी जी,वंदना जी एवं निर्मला जी -इस कविता को पसंद करने और प्रोत्साहित करने के लिए आप सभी का हार्दिक धन्यवाद.
ReplyDelete