(चित्र:साभार गूगल इमेज सर्च) |
कभी लू का थपेड़ा बन कर
बदन पर चुभती है हवा
कभी सर्द लहर के आगोश में
सर सर थर थराती है हवा
आंधी कभी तूफ़ान
कभी चक्रवात बन जाती है
चिनगारी भी कभी
शोलों सी धधक जाती है
रूमानियत में मीठा सा
एहसास बन जाती है
तन्हाइयों में भूली हुई
याद बन जाती है
जाते हुओं को अपनी
अहमियत बताती है हवा
आते हुओं में नयी
आस बन जाती है हवा
कभी गम के मारों को
जी भर रूलाती है हवा
खुशबू बन कर फिजा में
कभी छा जाती है हवा.
(मैं मुस्कुरा रहा हूँ..)
रूमानियत में मीठा सा
ReplyDeleteएहसास बन जाती है
तन्हाइयों में भूली हुई
याद बन जाती है
बहुत अच्छी पंक्तियां
हमेशा की तरह खूबसूरत रचना
एकदम नए भावों से सजी बेहद............ख़ूबसूरत
ReplyDeleteकविता।
चित्र भी अच्छा है और कविता भी
आपको बधाई
यशवन्त जी..
ReplyDeleteकैसे लिख जाते हो ऐसा सब
रूमानियत में मीठा सा
एहसास बन जाती है
तन्हाइयों में भूली हुई
याद बन जाती है
वाह !कितनी अच्छी रचना लिखी है आपने..! बहुत ही पसंद आई
Tere Shabdon mein aisi chhupi hawa,
ReplyDeleteAhhata kar dil mein rook jati hawa,
Ansoo ko pighlne na di no bhigone,
Bas chupke se ahsaas kisiki dilad hawa..
Us zulf ko maine dhundha tere lay mein,
Koi jo warson se roti thi aankh mein,
Aaj padh tujhe ankho se ansoo badle aayi hawa
kya gaur karoon bas aisi lagai nasa teri hawa
Yashwant ji ke kalam or charan ko chooti meri harfein, jo jane kaise ban gayi koi anjani adaa.. maine aise hi man se kuchh keh diya apke prsansa ko shabd to the pat kehne ko kuchh ni..
Its not good too good keep well Yashwant sir..
You can visit me at my blog
(Dwelling Dew)
dewdevesh.blogspot.com
जाते हुओं को अपनी
ReplyDeleteअहमियत बताती है हवा
आते हुओं में नयी
आस बन जाती है हवा
सही और सटीक ....खूब लिखा है
बहुत खूब वर्णन किया है 'हवा' का...... जब जिंदगी से जुड के देखने लगते है, तो सबके मायने इसी तरह कितने रूप लेते होगे न.
ReplyDeleteअच्छा लगा इस ब्लोग पर समय बिताना, बैकग्राउंड म्यूजिक के साथ।
ReplyDeleteजाते हुओं को अपनी
ReplyDeleteअहमियत बताती है हवा
आते हुओं में नयी
आस बन जाती है हवा
बहुत ही सुन्दर पंक्तियां ।
हवा के माध्यम से जिंदगी की पल पल परिवर्तित होती छ्टा को सटीकता से चित्रित करती खूबसूरत भावाभिव्यक्ति. आभार.
ReplyDeleteसादर
डोरोथी.
आदरणीया वीना जी,संजय जी,देवेश जी,मोनिका जी,वंदना जी,मनोज जी,सदा जी एवं डोरोथी जी-बहुत बहुत धन्यवाद! इन पंक्तियों को पसंद करने के लिए.
ReplyDeleteवीना जी!-मैं कोशिश कर रहा हूँ अच्छा लिखने की..और मेरे ब्लॉग पर आप के आने से मेरा उत्साह बढ़ जाता है.
देवेश जी!- बहुत ही अच्छी पंक्तियाँ लिखी आपने.आप के ब्लॉग पर ज़रूर आऊंगा.
वंदना जी!-मैं जो सोचता हूँ उसे शब्द देने की कोशिश करता रहता हूँ.
रूमानियत में मीठा सा
ReplyDeleteएहसास बन जाती है
तन्हाइयों में भूली हुई
याद बन जाती है
जाते हुओं को अपनी
अहमियत बताती है हवा
आते हुओं में नयी
आस बन जाती है हवा
बहुत सुन्दर भावाव्यक्ति।
हवा के माध्यम से पूरा भावचक्र रच डाला है !
ReplyDeleteसुन्दर रचना!
बेहद खुबसूरत लिखा है , अच्छी लगी .
ReplyDeleteहवा का स्पर्श और खूबसूरत ख़याल .. सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeletebahut sundar yashwantji
ReplyDeleteaapki jeevan ki hawayein hardam khushnuma rahein...sarjansheel rahein....
सुन्दर रचना...
ReplyDeleteसादर...