25 November 2010

हवा


(चित्र:साभार गूगल इमेज सर्च)


कभी लू का थपेड़ा बन कर
बदन पर चुभती है हवा
कभी सर्द लहर के आगोश में
सर सर थर थराती है हवा

आंधी कभी तूफ़ान
कभी चक्रवात बन जाती है
चिनगारी भी कभी
शोलों सी धधक जाती है

रूमानियत में मीठा सा
एहसास  बन जाती है
तन्हाइयों में भूली हुई
याद बन जाती है

जाते  हुओं को अपनी
अहमियत बताती है हवा
आते हुओं में नयी 
 आस बन जाती है हवा

कभी गम के मारों को
जी भर रूलाती है हवा
खुशबू बन कर फिजा में
कभी छा जाती है हवा.




(मैं मुस्कुरा रहा हूँ..)

16 comments:

  1. रूमानियत में मीठा सा
    एहसास बन जाती है
    तन्हाइयों में भूली हुई
    याद बन जाती है

    बहुत अच्छी पंक्तियां
    हमेशा की तरह खूबसूरत रचना

    ReplyDelete
  2. एकदम नए भावों से सजी बेहद............ख़ूबसूरत
    कविता।
    चित्र भी अच्छा है और कविता भी
    आपको बधाई

    ReplyDelete
  3. यशवन्त जी..
    कैसे लिख जाते हो ऐसा सब
    रूमानियत में मीठा सा
    एहसास बन जाती है
    तन्हाइयों में भूली हुई
    याद बन जाती है
    वाह !कितनी अच्छी रचना लिखी है आपने..! बहुत ही पसंद आई

    ReplyDelete
  4. Tere Shabdon mein aisi chhupi hawa,
    Ahhata kar dil mein rook jati hawa,
    Ansoo ko pighlne na di no bhigone,
    Bas chupke se ahsaas kisiki dilad hawa..
    Us zulf ko maine dhundha tere lay mein,
    Koi jo warson se roti thi aankh mein,
    Aaj padh tujhe ankho se ansoo badle aayi hawa
    kya gaur karoon bas aisi lagai nasa teri hawa
    Yashwant ji ke kalam or charan ko chooti meri harfein, jo jane kaise ban gayi koi anjani adaa.. maine aise hi man se kuchh keh diya apke prsansa ko shabd to the pat kehne ko kuchh ni..
    Its not good too good keep well Yashwant sir..
    You can visit me at my blog
    (Dwelling Dew)
    dewdevesh.blogspot.com

    ReplyDelete
  5. जाते हुओं को अपनी
    अहमियत बताती है हवा
    आते हुओं में नयी
    आस बन जाती है हवा

    सही और सटीक ....खूब लिखा है

    ReplyDelete
  6. बहुत खूब वर्णन किया है 'हवा' का...... जब जिंदगी से जुड के देखने लगते है, तो सबके मायने इसी तरह कितने रूप लेते होगे न.

    ReplyDelete
  7. अच्छा लगा इस ब्लोग पर समय बिताना, बैकग्राउंड म्यूजिक के साथ।

    ReplyDelete
  8. जाते हुओं को अपनी
    अहमियत बताती है हवा
    आते हुओं में नयी
    आस बन जाती है हवा

    बहुत ही सुन्‍दर पंक्तियां ।

    ReplyDelete
  9. हवा के माध्यम से जिंदगी की पल पल परिवर्तित होती छ्टा को सटीकता से चित्रित करती खूबसूरत भावाभिव्यक्ति. आभार.
    सादर
    डोरोथी.

    ReplyDelete
  10. आदरणीया वीना जी,संजय जी,देवेश जी,मोनिका जी,वंदना जी,मनोज जी,सदा जी एवं डोरोथी जी-बहुत बहुत धन्यवाद! इन पंक्तियों को पसंद करने के लिए.

    वीना जी!-मैं कोशिश कर रहा हूँ अच्छा लिखने की..और मेरे ब्लॉग पर आप के आने से मेरा उत्साह बढ़ जाता है.

    देवेश जी!- बहुत ही अच्छी पंक्तियाँ लिखी आपने.आप के ब्लॉग पर ज़रूर आऊंगा.

    वंदना जी!-मैं जो सोचता हूँ उसे शब्द देने की कोशिश करता रहता हूँ.

    ReplyDelete
  11. रूमानियत में मीठा सा
    एहसास बन जाती है
    तन्हाइयों में भूली हुई
    याद बन जाती है

    जाते हुओं को अपनी
    अहमियत बताती है हवा
    आते हुओं में नयी
    आस बन जाती है हवा

    बहुत सुन्दर भावाव्यक्ति।

    ReplyDelete
  12. हवा के माध्यम से पूरा भावचक्र रच डाला है !
    सुन्दर रचना!

    ReplyDelete
  13. बेहद खुबसूरत लिखा है , अच्छी लगी .

    ReplyDelete
  14. हवा का स्पर्श और खूबसूरत ख़याल .. सुन्दर प्रस्तुति

    ReplyDelete
  15. bahut sundar yashwantji

    aapki jeevan ki hawayein hardam khushnuma rahein...sarjansheel rahein....

    ReplyDelete
  16. सुन्दर रचना...
    सादर...

    ReplyDelete