फरीदा !
हाँ यही नाम है उसका
मैली सी फ्रॉक पहने
और एक हल्का सा स्वेटर
डाले
वो आती है रोज़ सवेरे
मेरे घर पर
घंटी बजा कर
हम सब को जगाती है
और सारा कूड़ा लेकर
मुस्कुराते हुए
डाल देती है
अपने ठेले पर।
मैं
देखता रह जाता हूँ
कभी उसको
और कभी
सामने की सड़क पर
आते जाते उसके हम उम्र
बच्चों को
जो बन ठन कर
चलते जाते हैं
विद्या के मंदिर की ओर।
वो भी
एक नज़र डालती है उन पर
चली जाती है
अगले घर पर दस्तक देने।
रोज़ की तरह
हर सुबह सवेरे
छोड़ जाती है
एक प्रश्न चिह्न
समाज के
मस्तक पर।
-यशवन्त माथुर ©
हाँ यही नाम है उसका
मैली सी फ्रॉक पहने
और एक हल्का सा स्वेटर
डाले
वो आती है रोज़ सवेरे
मेरे घर पर
घंटी बजा कर
हम सब को जगाती है
और सारा कूड़ा लेकर
मुस्कुराते हुए
डाल देती है
अपने ठेले पर।
मैं
देखता रह जाता हूँ
कभी उसको
और कभी
सामने की सड़क पर
आते जाते उसके हम उम्र
बच्चों को
जो बन ठन कर
चलते जाते हैं
विद्या के मंदिर की ओर।
वो भी
एक नज़र डालती है उन पर
चली जाती है
अगले घर पर दस्तक देने।
रोज़ की तरह
हर सुबह सवेरे
छोड़ जाती है
एक प्रश्न चिह्न
समाज के
मस्तक पर।
-यशवन्त माथुर ©
Wah very nice such a reality.. very gud
ReplyDeleteकाफी सुंदर तरीके से अपनी भावनाओं को अभिवयक्त किया है ...
ReplyDeleteबहुत सुंदर यशवंत जी, ऐसा ही होता है...न जाने कितनी ही फरीदा होंगी जो शिक्षा के महरूम है....जो स्कूल नही जा पाती....सुंदर अभिव्यक्ति....
ReplyDeleteUse dekhte mat rahiye...aise ek ya do bachcho ko bhi agar akshar gyaan kara dia to diye se diya jalte der nahi lagegi..amen!!!
ReplyDeleteKhair ye kavita apki intelligence k sath sath apki emtional intelligence ko bhi show klarne me kamyaab.. keep writting
ना जाने समाज में कितनी फरीदा हैं जिन्हें देखकर मन में प्रश्न उठते हैं..... सुंदर ....
ReplyDeleteसुंदर प्रस्तुति।
ReplyDeleteयेभी ज़िन्दगी का एक सच है।
ReplyDeleteek kadwa sach .
ReplyDeleteयह प्रश्नचिंह सोचने को विवश करता है...
ReplyDeleteबिल्कुल सच्ची बात कही है आपने इस रचना में ...
ReplyDelete।
यशवंत भाई, जीवन की विसंगतियों को आपने बडी बारीक नजर से देखा है। आपकी इस सोच को सलाम करने को जी चाहता है।
ReplyDelete---------
ईश्वर ने दुनिया कैसे बनाई?
उन्होंने मुझे तंत्र-मंत्र के द्वारा हज़ार बार मारा।
चलिए आपके साथ हम भी मुस्कुरा देते हैं इस विडंवना पर ...
ReplyDeleteसार्थक रचना ...!
वाह भाई
ReplyDeleteआदरणीया वीना जी,मोनाली जी,मोनिका जी,मनोज जी,संजय जी,मीनल जी,वंदना जी,मृदुला जी,अनु जी,सदा जी,जाकिर जी,इंद्रानील जी,कुनाल जी,-आप सभी का तहे दिल से शुक्रिया.
ReplyDeleteमोनाली जी-देखते रहने का तो मेरा भी दिल नहीं करता और यकीन मानिए मेरा ये सपना है की ऐसे उपेक्षित बच्चों के लिए कुछ न कुछ ज़रूर करूँगा.
जैसा की वीना जी ने कहा की ऐसी एक नहीं कई फरीदा हैं जो शिक्षा से वंचित हैं.अभी मैं कुछ नहीं कर सकता लेकिन फिर भी ब्लॉग के माध्यम से मैं चाहता हूँ कि मुझे पढने वाले सुधि जन इस बारे में सोचें.शायद हम सब मिलकर कोई बेहतर कार्य योजना बना सकें.