वक़्त की कैद मे
रहते हुए भी
मैं बेखबर हूँ
सलाखों के अंदर की
इस दुनिया से
बिलकुल वैसे ही
जैसे
रंगबिरंगी मछलियाँ
मस्त रहती हैं
एक्वेरियम की
दीवारों के चारों ओर।
रहते हुए भी
मैं बेखबर हूँ
सलाखों के अंदर की
इस दुनिया से
बिलकुल वैसे ही
जैसे
रंगबिरंगी मछलियाँ
मस्त रहती हैं
एक्वेरियम की
दीवारों के चारों ओर।
वाह!! बहुत खूब..ऐसे ही मस्त रहिये..समय को हावी न होने दें.. :)
ReplyDeleteमस्त ही रहना चाहिए यश्वन्त ! जिन्दगी बहुत कीमती है .बहुत.सुन्दर..
ReplyDeleteमस्त रहती हैं
ReplyDeleteएक्वेरियम की
दीवारों के चारों ओर।
........गजब कि पंक्तियाँ हैं ...!!!
बहुत सुंदर ...
ReplyDeleteजीवन जैसा चल रहा है चलेगा ...
ख़ुशी ढूंढ लेना बड़ी बात है ...
पिछले कुछ दिनों से अधिक व्यस्त रहा इसलिए आपके ब्लॉग पर आने में देरी के लिए क्षमा चाहता हूँ...
ReplyDelete....... रचना के लिए बधाई स्वीकारें यशवंत भाई !
कुछ बातों से अनजान ही रहना बहुत ज़रूरी होता है जीने के लिए...
ReplyDeleteसलाखें सब के साथ हैं......
ReplyDeleteकभी समय की,कभी परिस्थितियों,समाज,काम,रिश्ते....
न जाने कितनी अदृश्य सलाखें हैं ..
कुछ अपनी..कुछ परायी...
और हम इसी में खुश रहना सीख लेते हैं.....!!
यही तो फलसफा है जीवन का जीने का ,ज़िंदा दिली का .
ReplyDeleteसुंदर रचना के लिए बधाई.
ReplyDeleteवाह
ReplyDeleteबहुत सुंदर
जब कोई चारा न हो तो फिर खुश रहना और दिखना ही पड़ता है ... यही नियति है ..
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना
अच्छी प्रस्तुति,
ReplyDeleteबंधन को स्वीकार करने में ही भलाई है :))
ReplyDeleteAt thought without vision always invincible,it always confine itself . amazing..
ReplyDeleteबिलकुल सही ।
ReplyDeleteआभार ।।
जीना इसी का नाम है... सुन्दर भाव
ReplyDeleteजीवन का फलसफा है इसी में खुश रहना है .
ReplyDeleteसुन्दर भाव
good...
ReplyDeletebekhabar rahne mein hi fayda hai :)...nice poem
ReplyDeleteवक़्त की कैद से पार पाना मुश्किल तो है, लेकिन जो कर जाय, उसने ज़िन्दगी जी ली...
ReplyDeleteसुन्दर अभिव्यक्ति यशवंत जी,
सादर
अच्छा फलसफा है यशवंत....................
ReplyDeleteमुस्कुराते रहो.....हर हाल में........
सस्नेह
रंगबिरंगी मछलियाँ
ReplyDeleteमस्त रहती हैं
एक्वेरियम की
दीवारों के चारों ओर।
बेहतरीन भाव पुर्ण प्रस्तुति,सुन्दर रचना...
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सुंदर रचना के लिए बधाई.
ReplyDeleteनए बिम्ब .... अच्छी रचना
ReplyDeleteअनोखा बिम्ब, बेहद अर्थपूर्ण रचना, बधाई.
ReplyDeleteशानदार
ReplyDeleteबेहतरीन रचना ....
ReplyDelete......बहुत खुशनसीब हैं आप !!!!
ReplyDeletebehtarin rachana...
ReplyDeletekhush rahiye,,,,mast rahiye.....
वाह....बहुत खूबसूरत लगी पोस्ट....शानदार।
ReplyDeleteवाह ...बहुत खूब ।
ReplyDeleteसभी की एक सी स्थिति है!
ReplyDeleteलाज़वाब ! बहुत सटीक अभिव्यक्ति...
ReplyDeleteअच्छी प्रस्तुति के लिये बहुत बहुत बधाई....
ReplyDeleteअच्छी प्रस्तुति के लिये बहुत बहुत बधाई....
ReplyDeletereality ko darshati sundar rachna ...
ReplyDeletekya baat h....!!!!
ReplyDeletebahut sundar...
ReplyDeleteमुक्ति की गुहार अच्छी लगी...
ReplyDeleteसादर...!
This poem is really nice and true too.
ReplyDeletewah kya kahane ....bahut sargarbhit vicharon ka chayan ...badhai mathur ji
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