08 April 2012

वक़्त की कैद मे ..............

वक़्त की कैद मे
रहते हुए भी
मैं बेखबर हूँ
सलाखों के अंदर की
इस दुनिया से
बिलकुल वैसे ही
जैसे
रंगबिरंगी मछलियाँ
मस्त रहती हैं 
एक्वेरियम की
दीवारों के चारों ओर।

41 comments:

  1. वाह!! बहुत खूब..ऐसे ही मस्त रहिये..समय को हावी न होने दें.. :)

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  2. मस्त ही रहना चाहिए यश्वन्त ! जिन्दगी बहुत कीमती है .बहुत.सुन्दर..

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  3. मस्त रहती हैं
    एक्वेरियम की
    दीवारों के चारों ओर।
    ........गजब कि पंक्तियाँ हैं ...!!!

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  4. बहुत सुंदर ...
    जीवन जैसा चल रहा है चलेगा ...
    ख़ुशी ढूंढ लेना बड़ी बात है ...

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  5. पिछले कुछ दिनों से अधिक व्यस्त रहा इसलिए आपके ब्लॉग पर आने में देरी के लिए क्षमा चाहता हूँ...

    ....... रचना के लिए बधाई स्वीकारें यशवंत भाई !

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  6. कुछ बातों से अनजान ही रहना बहुत ज़रूरी होता है जीने के लिए...

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  7. सलाखें सब के साथ हैं......
    कभी समय की,कभी परिस्थितियों,समाज,काम,रिश्ते....
    न जाने कितनी अदृश्य सलाखें हैं ..
    कुछ अपनी..कुछ परायी...
    और हम इसी में खुश रहना सीख लेते हैं.....!!

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  8. यही तो फलसफा है जीवन का जीने का ,ज़िंदा दिली का .

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  9. सुंदर रचना के लिए बधाई.

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  10. जब कोई चारा न हो तो फिर खुश रहना और दिखना ही पड़ता है ... यही नियति है ..
    बहुत सुन्दर रचना

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  11. अच्छी प्रस्तुति,

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  12. बंधन को स्वीकार करने में ही भलाई है :))

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  13. At thought without vision always invincible,it always confine itself . amazing..

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  14. बिलकुल सही ।



    आभार ।।

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  15. जीना इसी का नाम है... सुन्दर भाव

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  16. जीवन का फलसफा है इसी में खुश रहना है .
    सुन्दर भाव

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  17. bekhabar rahne mein hi fayda hai :)...nice poem

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  18. वक़्त की कैद से पार पाना मुश्किल तो है, लेकिन जो कर जाय, उसने ज़िन्दगी जी ली...
    सुन्दर अभिव्यक्ति यशवंत जी,
    सादर

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  19. अच्छा फलसफा है यशवंत....................

    मुस्कुराते रहो.....हर हाल में........

    सस्नेह

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  20. रंगबिरंगी मछलियाँ
    मस्त रहती हैं
    एक्वेरियम की
    दीवारों के चारों ओर।
    बेहतरीन भाव पुर्ण प्रस्तुति,सुन्दर रचना...

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  21. सुंदर रचना के लिए बधाई.

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  22. नए बिम्ब .... अच्छी रचना

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  23. अनोखा बिम्ब, बेहद अर्थपूर्ण रचना, बधाई.

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  24. बेहतरीन रचना ....

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  25. ......बहुत खुशनसीब हैं आप !!!!

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  26. behtarin rachana...
    khush rahiye,,,,mast rahiye.....

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  27. वाह....बहुत खूबसूरत लगी पोस्ट....शानदार।

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  28. वाह ...बहुत खूब ।

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  29. सभी की एक सी स्थिति है!

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  30. लाज़वाब ! बहुत सटीक अभिव्यक्ति...

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  31. अच्छी प्रस्तुति के लिये बहुत बहुत बधाई....

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  32. अच्छी प्रस्तुति के लिये बहुत बहुत बधाई....

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  33. reality ko darshati sundar rachna ...

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  34. मुक्ति की गुहार अच्छी लगी...
    सादर...!

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  35. This poem is really nice and true too.

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  36. wah kya kahane ....bahut sargarbhit vicharon ka chayan ...badhai mathur ji

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