आदत है अँधेरों में जीने की
तो क्या चीज़ उजाला है
एक तरफ है झक सफ़ेद
एक तरफ काला है
कहीं इस समय दिन है
कहीं पे रात है
कहीं भरी दुपहर है
कहीं शाम की बात है
मावस की लकीरों में
कहीं उदास है जिंदगी
पूनम की महफिलों में
कहीं खास है जिंदगी
दो रूप हैं ,दो रंग हैं
एक लुभाता ,एक अखरता है
जो पूरा है,अधूरा भी है
दो नज़रों से एक दिखता है
आदत है दो में जीने की
क्या कर सकता एक अकेला है
काला सफ़ेद तो निश्चित होगा
जिंदगी का यही झमेला है
(दो दिन बिजली ग्रिड की गड़बड़ी से प्रेरित )
©यशवन्त माथुर©
इतना अच्छा लिखोगे तो पावर ग्रिड कारपोरेशन रायल्टी मांग लेगा तुमसे , प्रेरणा के एवज में | बहुत खूब |
ReplyDelete:-)
Deleteबहुत बढ़िया यशवंत...
सस्नेह
बहुत खूब...पावर ग्रिड की गड़बड़ी ने जीवन की असलियत समझा दी..
ReplyDeleteदो रूप हैं ,दो रंग हैं
ReplyDeleteएक लुभाता ,एक अखरता है
जो पूरा है,अधूरा भी है
दो नज़रों से एक दिखता है
बहुत ही बढ़िया ......
बहुत बढ़िया
ReplyDeleteदो रूप हैं ,दो रंग हैं
एक लुभाता ,एक अखरता है
जो पूरा है,अधूरा भी है
दो नज़रों से एक दिखता है
बेहतरीन रचना....
उत्कृष्ट प्रस्तुति गुरूवार के चर्चा मंच पर ।।
ReplyDeleteदो रूप हैं ,दो रंग हैं
ReplyDeleteएक लुभाता ,एक अखरता है
जो पूरा है,अधूरा भी है
दो नज़रों से एक दिखता है..बहुत सही कहा यशवंत..शुभकामनाएं
बहुत खूब...
ReplyDeleteबहुत ही प्यारी रचना..
ReplyDeleteआदत है दो में जीने की
ReplyDeleteक्या कर सकता एक अकेला है
काला सफ़ेद तो निश्चित होगा
जिंदगी का यही झमेला है
सुन्दर, लिखते रहो यशवंत जी
वाह ... बेहतरीन
ReplyDeleteकाला सफ़ेद तो निश्चित होगा
ReplyDeleteजिंदगी का यही झमेला है
झमेले में ही जीना का मज़ा है,,,:-)
बढ़िया ओरास्तुती सर:-)
आदत है दो में जीने की
ReplyDeleteक्या कर सकता एक अकेला है
काला सफ़ेद तो निश्चित होगा
जिंदगी का यही झमेला है
यही जीवन का खेला है
सुन्दर रचना.....
ReplyDeleteबहुत खूब
ReplyDeletewaah!..........very good...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर और सार्थक रचना...
ReplyDeleteबहुत अच्छी सार्थक रचना,,,,
ReplyDeleteरक्षाबँधन की हार्दिक शुभकामनाए,,,
RECENT POST ...: रक्षा का बंधन,,,,
बहुत खूब !
ReplyDeleteदो का झमेला...बेहतरीन प्रस्तुति !!
ReplyDeleteइस काले और सफ़ेद के बीच ही जीवन की आपा धापी चलती रहती है ...
ReplyDelete