आसमान से गुज़रा
हवाई जहाज़
और उसी क्षण
सामने की पटरी से
गुजरती रेल
पलक झपकते
दोनों का गायब हो जाना
मंज़िल से चल कर
मंज़िल की ओर
फिर आना
फिर से जाना
कितने ही चक्कर
रोज़ लगाना
उस पार की
गंदी बस्ती में
रहने वाला
काला-मैला
4 साल का छोटू
नज़रों के सामने से
और सिर के ऊपर से
भागते
सपनों को थामने की
कोशिश करता हुआ
माँ से कहता है -
एक दिन मैं भी
इनमे बैठूँगा !
©यशवन्त माथुर©
हवाई जहाज़
और उसी क्षण
सामने की पटरी से
गुजरती रेल
पलक झपकते
दोनों का गायब हो जाना
मंज़िल से चल कर
मंज़िल की ओर
फिर आना
फिर से जाना
कितने ही चक्कर
रोज़ लगाना
उस पार की
गंदी बस्ती में
रहने वाला
काला-मैला
4 साल का छोटू
नज़रों के सामने से
और सिर के ऊपर से
भागते
सपनों को थामने की
कोशिश करता हुआ
माँ से कहता है -
एक दिन मैं भी
इनमे बैठूँगा !
©यशवन्त माथुर©
bahut umda yashwant ji
ReplyDeleteगुज़ारिश : ''..प्यार को प्यार ही रहने दो ..''
बहुत ही सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुती,सबके सपने साकार हों।
ReplyDeleteउस पार की
ReplyDeleteगंदी बस्ती में
रहने वाला
काला-मैला
4 साल का छोटू
नज़रों के सामने से
और सिर के ऊपर से
भागते
सपनों को थामने की
कोशिश करता हुआ
माँ से कहता है -
एक दिन मैं भी
इनमे बैठूँगा !
निःशब्द करती विचारणीय रचना जो सदैव पूरा होता ही है बस उसे संवारनेवाला होना चाहिए ...
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति....
ReplyDeleteछोतु के हौसले उसे एक दिन ज़रूर अवसर देंगे हवाई जहाज में बैठने के ... सुंदर अभिव्यक्ति
ReplyDeletewaah bahut badhiya ...
ReplyDeleteसुन्दर अभिव्यक्ति यशवंत भाई !
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