मेरे ख्याल
घूमते हैं
कुछ गिने चुने
कुछ खास
शब्दों के इर्द गिर्द ...
जिन के चारों ओर
परिक्रमा करता है
मेरा मन
कभी समझते हुए
किसी तस्वीर की
मौन भाषा ...
कभी देखते हुए
बहते पानी की
चहकती लहरें....
कभी देख कर
अधखिली कलियाँ ...
कभी झूमते हुए
खिले हुए फूलों की
मादक खुशबू में ...
कभी निहारते हुए
उड़ती चिड़ियाँ
भौंरे और तितलियाँ
कभी सुनते हुए
मन पसंद संगीत ...
मेरे ख्याल
अपने सीमित शब्दकोश से
चुन लेते हैं
कहने लायक कुछ शब्द
और कोशिश करते हैं
करने की
कुछ बातें खुद से।
~यशवन्त माथुर©
चलती रहे परिक्रमा!
ReplyDeletesahi kaha yashwant bhai...man ko bha gayi ye rachna
ReplyDeleteयहीं से तो शब्दों का निर्माण होता है.........
ReplyDeleteअपने इर्द गिर्द चारों और से तो लेते है हम और रचना कर डालते है बहुत अच्छा लिखा .....
बहुत सुन्दर हैं ख़याल और उनका शब्दों का चयन भी....
ReplyDeleteसस्नेह
अनु
शब्दों से ख्याल बनते हैं और वे ही ख्याल फिर खुद से बाते करते हैं..एक सुंदर ख्याल है यह भी तो..
ReplyDeleteखूबसूरत ख्यालों की सुंदर शब्दों से परिक्रमा .....
ReplyDeleteवाह
khud se khud ki baatein karte karte dekho jag se keh baithe...kuchh aisa hi likha par likha achha :)
ReplyDeleteshubhkamnayen
great
ReplyDeleteमेरे ख्याल
अपने सीमित शब्दकोश से
चुन लेते हैं
कहने लायक कुछ शब्द
और कोशिश करते हैं
करने की
कुछ बातें खुद से।
वे ही शब्द दूसरे के दिल को छूते हैं
हार्दिक शुभकामनायें
सार्थक अभिव्यक्ति .आभार
ReplyDeleteहम हिंदी चिट्ठाकार हैं
भारतीय नारी
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा शनिवार(3-8-2013) के चर्चा मंच पर भी है ।
ReplyDeleteसूचनार्थ!
khubsurat abhivaykti....
ReplyDeleteबहुत बढिया सार्थक अभिव्यक्ति .
ReplyDeleteठीक है जी इसे कविता नही समझा
ReplyDeleteBahut Umda.....
ReplyDeleteशब्दकोष से सुन्दर चयन शब्दों का बधाई
ReplyDeleteसुन्दर शब्दों की परिक्रमा और अद्भुत भाव
ReplyDeleteवाह , बहुत सुंदर
ReplyDeleteयहाँ भी पधारे
गजल
http://shoryamalik.blogspot.in/2013/08/blog-post_4.html
आपकी इस प्रस्तुति को शुभारंभ : हिंदी ब्लॉगजगत की सर्वश्रेष्ठ प्रस्तुतियाँ ( 1 अगस्त से 5 अगस्त, 2013 तक) में शामिल किया गया है। सादर …. आभार।।
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