03 October 2014

दशहरा मुबारक- दशहरा मुबारक.....(पुनर्प्रकाशन)

आप सभी पाठकों को दशहरा बहुत बहुत मुबारक !
इस ब्लॉग पर पिछले वर्ष प्रकाशित पोस्ट को ही इस बार भी पुनर्प्रकाशित कर रहा हूँ।

दशहरा मुबारक- दशहरा मुबारक 
भीड़ को चीरता हर चेहरा मुबारक
हर बार की तरह राम रावण भिड़ेंगे 
तीरों से कट कर दसों सिर गिरेंगे 
दिशाओं को घमंड की दशा ये मुबारक
दशहरा मुबारक- दशहरा मुबारक 

दशहरा मुबारक- दशहरा मुबारक 
महंगाई में भूखा हर चेहरा मुबारक
गलियारे दहेज के हर कहीं मिलेंगे 
बेकारी मे किसान लटके मिलेंगे
मिलावट का आटा-घी-तेल मुबारक 
दशहरा मुबारक- दशहरा मुबारक 

दशहरा मुबारक- दशहरा मुबारक 
रातों में हर उजला सवेरा मुबारक
कहीं फुटपाथों पे लोग सोते मिलेंगे 
जिंदगी से हार कर कहीं रोते मिलेंगे 
हम ही राम- रावण,यह लीला मुबारक 
दशहरा मुबारक- दशहरा मुबारक 

~यशवन्त यश©

7 comments:

  1. दशहरा मुबारक हो आपको भी
    मेरे ब्लॉग पर थाको स्वागत हैँपधारैँ।

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  2. waah yash ji...apko bhi dussehra bahut mubarak

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  3. Bahut sunder aapko bhi vijay dashmi ki shubhkaamnaayein ...

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  4. बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शनिवार (04-10-2014) को "अधम रावण जलाया जायेगा" (चर्चा मंच-१७५६) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच के सभी पाठकों को
    विजयादशमी (दशहरा) की
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  5. एकदम जायज सवाल हैं जो आपने समाज और देश से पूछा है। स्वयं शून्य

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  6. फिर भी दशहरा मुबारक कहना ही पड़ता है

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  7. सुंदर रचना

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