04 November 2014

कुछ लोग -7

कुछ लोग
होते हैं
कोरे पन्ने की तरह
सफ़ेद
जिनका मन
ज़ुबान और दिल
ढका होता है
पारदर्शक
टिकाऊ 
आवरण से....
आवरण !
जो रहता है
बे असर
चुगलखोरी की
दूषित हवा
और काली स्याही के
अनगिनत छींटों से
आवरण !
जिसे तोड़ने
चूर चूर करने की
कई कोशिशें भी
रह जाती हैं
बे असर
पाया जाता है
उन कुछ ही
लोगों के पास 
जो होते हैं
लाखों में एक 
उस जलते
चिराग की तरह
तमाम तूफानों के
बाद भी
जिसकी लौ
रोशन है
सदियों से
आज की तरह।

~यशवन्त यश©


[कुछ लोग श्रंखला की अन्य पोस्ट्स यहाँ क्लिक कर के देख सकते हैं] 

10 comments:

  1. आपकी लिखी रचना बुधवार 05 नवम्बर 2014 को लिंक की जाएगी........... http://nayi-purani-halchal.blogspot.in आप भी आइएगा ....धन्यवाद!

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  2. सही कहा है..कुछ लोग ऐसे ही होते हैं..नानक, कबीर, बुद्ध ऐसे ही थे..अडोल, अकम्प...आभार तथा शुभकामनायें...

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  3. जिसकी लौ रोशन है सदियों से।
    सच कहती हुई रचना ।

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  4. आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति बुधवार के - चर्चा मंच पर ।।

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  5. बहुत सुन्दर ।

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  6. जरूर होते हैं ऐसे लोग ... तभी तो ज़िंदा हैं मूल्य आज भी समाज में ...

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  7. बिल्कुल सच कहा है...बहुत सुन्दर प्रस्तुति...

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  8. वे जो अपने लिए नहीं दुनिया के जिए हैं उन ईश्वर सदृश महान आत्माओं बाहरी आवरण कभी नहीं चढ़ पाया है . ..
    बहुत बढ़िया

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  9. वे जो अपने लिए नहीं दुनिया के जिए हैं उन ईश्वर सदृश महान आत्माओं बाहरी आवरण कभी नहीं चढ़ पाया है . ..
    बहुत बढ़िया

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