17 December 2014

वो नहीं बच सकेंगे दोज़ख की आग से

कुछ सोच कर ही
ऊपर वाले ने
बनाया होगा
बचपन ....
कुछ सोच कर ही
ऊपर वाले ने
दिया होगा
मासूम सा मन ....
कुछ सोच कर ही
दी होंगी
शरारतें
मुस्कुराहटें
और बे परवाह सी
जिंदगी ....
पर ये न सोचा होगा
कि एक दिन
उसके ही बनाए
कुछ कायर पुतले
उसके ही नाम पर
बिखरा देंगे
खूनी छींटे
और
यूं छलनी कर देंगे
तार तार कर देंगे
उस विश्वास को
जो अब तक
रहा है कायम ...
अनेकों दिलों में
जिसके बल पर
बंधी रही है
उम्मीद
जीवन के
हर मोड़ पर 
कुछ कर गुजरने की ....

मासूम बच्चों को
ढाल बना कर
अपने
नापाक अरमान लिए  ये कायर
कट्टरता
क्रूरता के गुमान में
भले ही
पा लें क्षणिक सुख
लेकिन
बरी न हो पाएंगे कभी
दोज़ख की आग से।

(पाकिस्तान में आतंकी हमले मे मारे गए सभी मासूम बच्चों को 
विनम्र श्रद्धांजली )

~यशवन्त यश©

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