15 March 2015

बहुत आसान लगता है ........

बहुत आसान लगता है
किसी लिखे हुए को पढ़ना
किसी के लिखे हुए को
अपना नाम देना
लेकिन
बहुत कठिन होता है
उस लिखे को समझना
आत्मसात करना
और उस जैसा ही
लिखने की
कोशिशें करना
जो अधिकतर असफल
और कभी
सफल भी हो जाती हैं
फिर भी
लाख चाहने के बाद भी
नहीं आ पाता
मौलिकता का
वह तत्व
जो होता है
आत्मा की तरह 
किसी की भी लेखनी का
अभिव्यक्ति का 
इसलिए
बेहतर यही है
कि मैं
वह लिखूँ
जो पूरी तरह
सिर्फ मेरा हो
मेरे लिये
आवाज़ हो
मेरे अन्तर्मन की
मेरे ही शब्दों में
हमेशा की तरह। 
 
~यशवन्त यश©

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