28 June 2015

कुछ लोग -21

पत्थर पर खींची 
अपनी लकीर पर
चलते हुए
कुछ लोग 
अचानक ही
आ पहुँचते हैं
दो राहों पर
कभी कभी
चौराहों पर
जहां उनके नियम
उनके कायदे
डगमगाने लगते हैं
मझधार में फंसी
किसी नाव की तरह
फिर भी
अड़े रहते हैं
अपनी जिद्दी धुन पर ....
उनके निर्णय
निष्कर्ष
और सोच  की
कुंद होती धार
घातक होती जाती है
खुद ही के लिये .....
सब कुछ
जान कर भी
सब से 
अनजान बन कर
कुछ लोग
लगा लेते हैं
प्रश्न चिह्न
अपने नाम के आगे। 
  
~यशवन्त यश©

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