सोचता हूँ
कैसी होगी
जज़्बातों के
बाहर की दुनिया
जहां सब कुछ
शून्य होगा
जहां
न होंगेरिश्तों के बंधन
न नियम
न अनुशासन
फिर भी
स्व नियंत्रण की
उस नयी
अलग सी
इंसानी दुनिया में
पर-नियंत्रण की
आज की
मशीनी दुनिया से बेहतर
दूसरों से कटे
मगर खुद से जुड़े
खुद में खोए
अपनी भाषा में
अपनी भाषा में
खुद से बातें करते
कुछ इंसान होंगे
दूर की सोचते दिमाग
और जज़्बातों के बिना
वह अलग सी दुनिया
फिर भी हरी-भरी होगी
अलग सी धरती पर।
~यशवन्त यश©
कैसी होगी
जज़्बातों के
बाहर की दुनिया
जहां सब कुछ
शून्य होगा
जहां
न होंगेरिश्तों के बंधन
न नियम
न अनुशासन
फिर भी
स्व नियंत्रण की
उस नयी
अलग सी
इंसानी दुनिया में
पर-नियंत्रण की
आज की
मशीनी दुनिया से बेहतर
दूसरों से कटे
मगर खुद से जुड़े
खुद में खोए
अपनी भाषा में
अपनी भाषा में
खुद से बातें करते
कुछ इंसान होंगे
दूर की सोचते दिमाग
और जज़्बातों के बिना
वह अलग सी दुनिया
फिर भी हरी-भरी होगी
अलग सी धरती पर।
~यशवन्त यश©
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