24 June 2015

आखिर फायदे में चीन ही रहा--सही राम

योग करके हमने स्वास्थ्य लाभ लिया और चीन ने धन लाभ लिया। हमने विश्व रिकॉर्ड से नाम बनाया, उसने नामा बनाया। वैसे तो कहा जाता है कि जब आवै संतोष धन, सब धन धूरि समान। हमने दुनिया को योग देकर संतोष पाया। बदले में चीन ने वह धन पाया, जो हमारे लिए धूल समान था। विघ्न संतोषी लोग आरोप लगा सकते हैं कि हमने योग को बेच दिया, और चीन ने राजपथ पर योग करने के लिए हमें अपने मैट बेच दिए। आलोचकों का कहना है कि यह सब खाए-पीए, अघाए लोगों का शगल था। चर्बी इतनी बढ़ गई थी, इस तरह ही उतर जाए तो अच्छा। देश का नाम भी दुनिया में हो जाए और अपनी सेहत भी ठीक हो जाए, क्या बुरा है? चीन ने शायद इसी से अपना फंडा निकाला होगा- तुम हमें फैट दो, हम तुम्हें मैट देंगे। उसने कहा होगा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर योग को मान्यता दिलाकर तुम गर्व करो, हमें तो बस थोड़ा धन दे दो। हम मेक इन इंडिया करते रहे और वे मेड इन चाइना बेच गए।

वैसे चीन हमेशा ही फायदे में रहता है। दिवाली हमारी होती है और फायदा उसका होता है। हम रोशनी के लिए लड़ियां भी उसी की और पूजा के लिए लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियां भी उसी की खरीदते हैं। चेहरे बेशक कुछ अलग होते हैं, पर मूर्तियां सस्ती होती हैं और उपलब्ध रहती हैं। आखिर में दीवाला हमारा होता है और दिवाली उनकी होती है। होली हमारी होती है, और फायदा उनका होता है। स्वतंत्रता दिवस हमारा होता है और झंडे हम उसके बनाए फहराते हैं, क्योंकि तिरंगे भी अब वहीं से बनकर आते हैं। पर्व हमारा, फायदा उनका। देशभक्ति हमारी, मुनाफा उनका। देश में चुनाव हो तो भी फायदा चीन का ही होता है, क्योंकि पार्टियों की टोपियां, उनके झंडे और नेताओं के मास्क वही बनाते हैं। चुनाव से लोकतंत्र हमारा मजबूत होता है और अर्थव्यवस्था उनकी मजबूत होती है। तो जब तीज-त्योहारों से लेकर स्वतंत्रता दिवस और चुनाव तक से फायदा उसी का होता है, तो योग से भी फायदा उसे ही उठाना था। उसने उठाया। हमने दुनिया को योग दिया, उसने हमें योग के लिए मैट दिए। फायदे में आखिर चीन ही रहा।
साभार-'हिंदुस्तान'-23/06/2015 

No comments:

Post a Comment