17 July 2015

नहीं चाहता....

बीत चुके जो नज़ारे
फिर देखना नहीं चाहता ।
कह जो दिया एक बार
फिर कहना नहीं चाहता ।
मुझे पता है
क्या तुम्हारे मन में है
और क्या मेरे मन में है 
मन के मान जाने के बाद
फिर और मनाना नहीं चाहता।

~यशवन्त यश©

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