मैंने तो नहीं कहा
कि बेचैन हूँ
इस दर पर
सबको
देखने को ....
न बिछा रखे हैं
लाल कालीन
बैठने को
न टहलने को ....
फिर भी कुछ हैं
जो आ रहे हैं
जा रहे हैं
अपनी मर्ज़ी से
एक नज़र डाल कर
किनारे हो कर
अलविदा के गीत
गा रहे हैं....
अच्छा ही है
मुक्त होना
बे मतलब की
जकड़न से
उलझन से
और इसमें
फंसे रहने को हमेशा
मैंने तो नहीं कहा ।
~यशवन्त यश©
कि बेचैन हूँ
इस दर पर
सबको
देखने को ....
न बिछा रखे हैं
लाल कालीन
बैठने को
न टहलने को ....
फिर भी कुछ हैं
जो आ रहे हैं
जा रहे हैं
अपनी मर्ज़ी से
एक नज़र डाल कर
किनारे हो कर
अलविदा के गीत
गा रहे हैं....
अच्छा ही है
मुक्त होना
बे मतलब की
जकड़न से
उलझन से
और इसमें
फंसे रहने को हमेशा
मैंने तो नहीं कहा ।
~यशवन्त यश©
मैंने तो नहीं कहा..ठहरो या रुक जाओ..
ReplyDeleteलेकिन शुभेक्षा इतनी ..उस पार उतर जाओ..
सादर प्रणाम