आज सुबह से घना कोहरा छाया हुआ है।
यह कोहरा अपने भीतर कई उम्मीदों की धूप समाए हुए है, लेकिन यह धूप कब निकलेगी इस
बारे में किसी को खबर नहीं।
कोई कह रहा था कि कहीं किसी और
कोने में बहुत अच्छी धूप खिली है जो अपने भीतर गहरा अंधेरा समेटे हुए है।
लेकिन फिर भी जैसे हम अनजान बन कर
बस देखते रहते हैं सिर्फ वही जो हमें बाहरी तौर पर दिखता है। नहीं दिखता तो केवल
भीतर का सच ....भीतर का दर्द जो हम या हमारे सामने वाला हमेशा अपने साथ लेकर चलता
है।
कारण सिर्फ एक है .....सबके लिए सब
सुखी हैं लेकिन अपनी अपनी तरह से सभी डूबे हुए हैं ....अपने चेहरे पर मुस्कुराहटों
का मुखौटा लगाए ....सबको मालूम है ...सबका सच।
-यश ©
03/02/2019
सच सच होता है।
ReplyDeleteदर्द है, दर्द का कारण भी है, दर्द के निवारण का उपाय भी है और दर्द विहीन एक अवस्था भी है...यदि कोई चाहे तो..
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