चाहता हूँ बहुत कि तुझको पा नहीं पाता हूँ
ऐ मौत ! तेरे लिए हर रोज़ मैं पलकें बिछाता हूँ।
तेरे कदमों की आहट के हरेक एहसास से गुज़रता हूँ
कभी गिर करके उठता हूँ, कभी उठ करके गिरता हूँ।
बेचैन हैं कुछ लोग कि एक खबर नहीं बन पाता हूँ
वो सोचते हैं कि गुज़र गया, नज़र फिर भी आता हूँ।
चाहता हूँ बहुत कि तुझको पा नहीं पाता हूँ
ऐ मौत! आखिर क्यूँ तुझसे मिल नहीं पाता हूँ।
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-यश ©
07/22-मार्च -2019
मौत मिलती है उससे जिससे वो खुद ही मिलना चाहती है
ReplyDeleteयूँ ही हर जगह उसको जाने की आदत नहीं देखी जाती है।
वाह क्या बात है, आपक्वे लिखने का तरीका बहुत ही अच्छा है aapne kafi badhiya post likha hai Jio Mobile फोन का सॉफ्टवेयर अपडेट कैसे करें
ReplyDeleteजीवन से मुलाकात जिसकी होती है, मृत्यु बस एक ख्याल भर उसको होती है
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