08 November 2019

जल ही जीवन है.......

जल ही जन है
जल ही मन है
.
जल ही जीवन है।
.
जल जल कर
जलता मानव
जल जल कर ही
बनता दानव ।
.
जलते जलते यूं ही चल कर
थक कर कहीं रुकता मानव ।
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जल ही कर्ता
जल ही धर्ता
मीनों के हर
दु:ख का हर्ता।
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जल ही अर्पण
जल ही प्रण है
.
जल ही जीवन है।

-यशवन्त माथुर ©
08/11/2019

2 comments:

  1. जल है तो कल है।
    जल ही जीवन है
    सुंदर रचना।

    मेरी नई पोस्ट पर स्वागत है👉👉 जागृत आँख 

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  2. बहुत बढ़िया

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