जल ही जन है
जल ही मन है
.
जल ही जीवन है।
.
जल जल कर
जलता मानव
जल जल कर ही
बनता दानव ।
.
जलते जलते यूं ही चल कर
थक कर कहीं रुकता मानव ।
.
जल ही कर्ता
जल ही धर्ता
मीनों के हर
दु:ख का हर्ता।
.
जल ही अर्पण
जल ही प्रण है
.
जल ही जीवन है।
-यशवन्त माथुर ©
08/11/2019
जल ही मन है
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जल ही जीवन है।
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जल जल कर
जलता मानव
जल जल कर ही
बनता दानव ।
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जलते जलते यूं ही चल कर
थक कर कहीं रुकता मानव ।
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जल ही कर्ता
जल ही धर्ता
मीनों के हर
दु:ख का हर्ता।
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जल ही अर्पण
जल ही प्रण है
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जल ही जीवन है।
-यशवन्त माथुर ©
08/11/2019
जल है तो कल है।
ReplyDeleteजल ही जीवन है
सुंदर रचना।
मेरी नई पोस्ट पर स्वागत है👉👉 जागृत आँख
बहुत बढ़िया
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