खेला तो होगा ही
सभी ने एक न एक बार
किया तो होगा ही
16 गोटियों से
72 खानों को पार
देखा तो होगा ही
जीत और हार।
ये रंग-बिरंगी ज़िंदगी
ऐसी ही है
बिल्कुल लूडो की तरह
अनिश्चित है
कि यहाँ कब कौन
किसको कहाँ और कैसे
पीट कर-धकिया कर
आगे निकल जाए
और
मंजिल के
बिल्कुल करीब पहुँच कर भी
नई शुरूआत
करनी पड़ जाए ।
इस बिसात पर
चार सितारों के विश्राम स्थल
सिखाते हैं
थोड़ा संभलना
ठहर कर चलना
धीरे-धीरे तो
कहानी बन ही जाएगी
मंजिल मिल ही जाएगी
लेकिन
सिर्फ उसको
जिसको आता हो
अवसर को पढ़ना
अपनी सही चाल से
आगे बढ़ना ।
लूडो
सिर्फ खेल नहीं है
ज़िंदगी के हर
उतार -चढ़ाव का
ऐसा प्रतिमान है
जिसके बिना
हम कर नहीं सकते कल्पना
अपने भूत-भविष्य
और वर्तमान की।
- यशवन्त माथुर ©
28/05/2020
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