28 May 2020

लूडो और ज़िंदगी

लूडो 
खेला तो होगा ही 
सभी ने एक न एक बार 
किया तो होगा ही 
16 गोटियों से 
72 खानों को पार 
देखा तो होगा ही 
जीत और हार। 

ये रंग-बिरंगी ज़िंदगी 
ऐसी ही है 
बिल्कुल लूडो की तरह 
अनिश्चित है 
कि यहाँ कब कौन 
किसको कहाँ और कैसे  
पीट कर-धकिया कर 
आगे निकल जाए 
और 
मंजिल के 
बिल्कुल करीब पहुँच कर भी 
नई शुरूआत 
करनी पड़  जाए । 

इस बिसात पर  
चार सितारों के विश्राम स्थल 
सिखाते हैं 
थोड़ा संभलना 
ठहर कर चलना 
धीरे-धीरे तो 
कहानी बन ही जाएगी 
मंजिल मिल ही जाएगी 
लेकिन 
सिर्फ उसको 
जिसको आता हो 
अवसर को पढ़ना 
अपनी सही चाल से 
आगे बढ़ना । 

लूडो 
सिर्फ खेल नहीं है 
ज़िंदगी के हर
उतार -चढ़ाव का 
ऐसा प्रतिमान है 
जिसके बिना 
हम कर नहीं सकते कल्पना 
अपने भूत-भविष्य 
और वर्तमान की। 

- यशवन्त माथुर ©
28/05/2020

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