मिलें न मिलें मंज़िलें
हमराह चलेंगे।
मिलेगा मौका जब भी
हम बात करेंगे।
चौराहे हैं यहाँ कई
कभी तो पार करेंगे।
थक कर कहीं बैठे तो
हम बात करेंगे।
कल को भूल कर आज
ही इतिहास रचेंगे।
जब कुछ न लिख सकेंगे
तो हम बात करेंगे।
-यशवन्त माथुर ©
08/05/2020
हमराह चलेंगे।
मिलेगा मौका जब भी
हम बात करेंगे।
चौराहे हैं यहाँ कई
कभी तो पार करेंगे।
थक कर कहीं बैठे तो
हम बात करेंगे।
कल को भूल कर आज
ही इतिहास रचेंगे।
जब कुछ न लिख सकेंगे
तो हम बात करेंगे।
-यशवन्त माथुर ©
08/05/2020
संवाद चलता रहे
ReplyDeleteकारवां बढ़ता रहे
मंजिलें दूर नहीं
जज्बा यही खिलता रहे
बहुत सुन्दर और प्रेरक रचना
ReplyDeleteवाह ! बेहतरीन सृजन आदरणीय सर
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