चलते-चलते अँधेरों में
मंजिल अपनी पा जाएँ।
जो देखते हैं सब सपने
पूरा उनको कर पाएँ।
दीप बनाने वालों के घर
दीयों से रोशन हो जाएँ।
नयी फसल काटने वाले
भूखे कभी न सो पाएँ।
फुटपाथों पर रहने वाले ,
कूड़े में जूठन ढूँढ़ने वाले,
तीखा-मीठा नया नया सा,
सबकी तरह ही खा पाएँ।
कितना ही अच्छा हो गर,
सब थोड़ा थोड़ा बदल पाएँ।
नए ढंग से, नए रंग में
सबकी दीवाली मना पाएँ।
(दीप पर्व सभी को शुभ व मंगलमय हो)
बहुत सुंदर।
ReplyDeleteदीवाली की हार्दिक शुभकामनाएं।🌻
दीपोत्सव की मंगलकामनाएं।
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (15-11-2020) को "गोवर्धन पूजा करो" (चर्चा अंक- 3886 ) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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दीपावली से जुड़े पञ्च पर्वों की
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
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सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
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आमीन
ReplyDeleteबहुत सुंदर कविता यशवंत जी । सत्य ही दीवाली हो तो सब की हो । सर्वे भवन्तु सुखिनः, सर्वे सन्तु निरामया; यही मनोकामना हो, यही प्रयास हो । आभार एवं अभिनन्दन आपका ।
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