रिश्ते जरूरी नहीं
रिश्तों के बिना भी
अब तक अनजान
कुछ लोग
अचानक ही
कहीं मिलकर
अपने से लगने लगते हैं
मीलों दूर हो कर भी
उनकी दुआओं के कंपन
संजीवनी के रंगों से
उम्मीदों के कैनवास पर
दिखने लगते हैं।
रिश्ते जरूरी नहीं
रिश्तों के बिना भी
नीरस जीवन की
अनंत गहराइयों तक जाकर
महसूस किया जा सकता है
वास्तविकता के कठोर तल पर
टूट चुकी उम्मीदों के भविष्य का
कोमल स्पर्श।
20012021
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 21.01.2021 को चर्चा मंच पर दिया जाएगा| आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी
ReplyDeleteधन्यवाद
सुन्दर सृजन
ReplyDeleteरिश्ते जरूरी नहीं
ReplyDeleteरिश्तों के बिना भी
अब तक अनजान
कुछ लोग
अचानक ही
कहीं मिलकर
अपने से लगने लगते हैं ।
खूबसूरत रचना।
बहुत सूक्ष्म अवलोकन, वाकई रिश्तों की आवश्यकता उसी को है जो अभी तक खुद से ही रिश्ता जोड़ नहीं पाया, जिसने अपनी गहराई को पहचाना है, वह महसूस कर लेगा उन अदेखे भावों को भी जो अनजान रास्तों से चले आते हैं और बन जाते हैं बिना बनाये किन्हीं के साथ रिश्ते !
ReplyDeleteमहसूस किया जा रहा है ।
ReplyDeleteसच कहा है यशवन्त जी, बिल्कुल, कुछ अनजाने रिश्ते आपको ऐसी डोर में बाँध लेते हैं, जो जीवन जीने की कला सिखा देते हैं..सुन्दर रचना..
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना
ReplyDeleteसुन्दर रचना
ReplyDeleteसही कहा आपने महसूस किया जा सकता है।
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर सृजन।
सादर
बिल्कुल सही रिश्ते तो अनुभव की वस्तु है
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteरिश्तों को सिर्फ़ महसूस किया जा सकता है। बहुत अंदर अभिव्यक्ति, यशवंत भाई।
ReplyDeleteआपने ठीक कहा यशवंत जी ।
ReplyDeleteरिश्ते जरूरी नहीं..
ReplyDeleteएहसास जरूरी है..
रिश्ते हो मृतप्राय..
और अपनापन ना हो..
रिश्तों की फिर क्या साथर्कता..
यदि शामिल उसमे मन ना हो..
आपको समर्पित..
रिश्ते जरूरी नहीं
ReplyDeleteरिश्तों के बिना भी
अब तक अनजान
कुछ लोग
अचानक ही
कहीं मिलकर
अपने से लगने लगते हैं
सही कहा आपने...कुछ लोग रिश्तों के बिना भी अपने से लगते हैं तो कुछ रिश्ते अपने होकर भी दूर के लगते हैं...ये सब महसूसने की बात है जो सामने वाले के व्यवहार पर निर्भर करती है।
बहुत सुन्दर सृजन।