एक समय के बाद
जिन्दगी
हो जाती है
जंग लगे
ताले की तरह
जिसके खुलने से
कहीं ज्यादा
मुश्किल होता है
उसे
-यशवन्त माथुर©
जिन्दगी
हो जाती है
जंग लगे
ताले की तरह
जिसके खुलने से
कहीं ज्यादा
मुश्किल होता है
उसे
दोबारा
पहले जैसा
बंद करना।
ठीक ऐसे ही
वक्त की कब्र में
भीतर तक दबे राज़
खुद खुद कर
जब आने लगते हैं सामने
तब नामुमकिन ही होता है
उसे पहले की तरह
पाटना और समतल करना
क्योंकि
बदलाव के नए दस्तूर
और ऊबड़ खाबड़ पाखंड
मिलने नहीं देते
श्वासों के चुनिंदा
अवशेषों को
स्मृतियों की
दो गज जमीन।
29082021
बहुत ही सुंदर
ReplyDeleteबिलकुल सच
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