22 November 2021

सफर अभी जारी है...

अंतहीन राहों से
गुजरते हुए
कुछ गिरते हुए
कुछ संभलते हुए
सफर अभी जारी है।
 
समय चक्र में मिलते हैं
कुछ फूल भी
काँटे भी
होती हैं पत्थरों से
दिल की कुछ बातें भी।
 
इस बिसात पर
वजूद को तलाशते हुए
कभी शह,
कभी मात खाते हुए
सफर अभी जारी है।

अक्सर निहारता हूं
कंक्रीट की इमारतों के शिखर से
उगता हुआ सूरज..
फिर शाम की उदासी में
कहीं ढलता हुआ सूरज..
यूं करने को कुछ है तो नहीं
फिर भी लगता कि कुछ
अभी बाकी है
सफर अभी जारी है।

-यशवन्त माथुर©

9 comments:

  1. मैं आत्मानुभव से इन पंक्तियों के मर्म को समझ सकता हूँ यशवन्त जी।

    ReplyDelete
  2. इसी तरह सफ़र चलता रहे, कारवाँ काव्य का आगे बढ़ता रहे

    ReplyDelete
  3. सादर नमस्कार ,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार
    (23-11-21) को बुनियाद की ईंटें दिखायी तो नहीं जाती"( चर्चा अंक 4257) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है..आप की उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी .
    --
    कामिनी सिन्हा

    ReplyDelete
  4. जीवन सफर की विषमताओं का ताना बाना गढ़ता बेहतरीन सृजन।
    सादर

    ReplyDelete
  5. सुंदर रचना

    ReplyDelete
  6. बहुत ही उम्दा व सरहानीय रचना

    ReplyDelete
  7. जीवन सफर कभी कभी मार्ग विहीन नजर आता है, परंतु कहीं न कहीं कोई न कोई पथ है जो निराशा में आशा की दिशा बनता है, एहसासों का सुंदर सृजन किया है आपने यशवंत जी, बहुत शुभकामनाएं ।

    ReplyDelete