कुछ जानी सी
पहचानी सी
कुछ रंगीन
कुछ श्वेत श्याम
कुछ दीवारों पर
अखबारों पर
बोलती सी
कुछ शांत सी
ये तस्वीरें
अगर न होती तो?
शायद कुछ अधूरे से होते हम
शायद न होती कल्पना
न कविता न कहानी होती
न स्वप्न होते
न कुछ कहते
न सुनते
पता नहीं
क्या होता कैसा होता
इन तस्वीरों के बिना
है सौभाग्य!
इन तस्वीरों के साथ
हम जीते हैं
महसूस करते हैं
भावों को
आभावों को
किसी के गम को
किसी की ख़ुशी को
ये तस्वीरें !
ये तस्वीरें!!
किसी की तकदीर बन जाती हैं
रंक को राजा
राजा को रंक बना देती हैं
ये तस्वीरें
मुर्दों को भी जिला देती हैं
पत्थरों को पिघला देती हैं
कभी सिहरा देती हैं
कभी जमा देती हैं
अपनी असीम ऊर्जा से!
ऊष्मा से!
शीतलता से!
तसेवीरों पर लिखी यह कविता बह्त अच्छी लगी।
ReplyDeleteये ब्लोग के बैकग्राउंड का मुजिक इतना प्यारा है कि आपके ब्लोग से हटने का मन ही नहीं कर रहा।
aapke mann ne jo kaha hai , wah anmol hai
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर और विचारोत्तेजक कविता है ... ऐसे ही लिखते रहे ... आप में प्रतिभा है ..
ReplyDeleteअत्यंत मार्मिक एवम सत्यता से अवगत करने का सफल प्रयास....बधाई !
ReplyDeleteएक तस्वीर लाखों शब्दों से भी ज़्यादा कह जाती है !
ReplyDeleteअरे आप विजय माथुर जी के बेटे हैं । बहुत अच्छे संस्कार पाए हैं आपने ।
ReplyDeleteकविता अच्छी लगी । बहुत खूब ।
तस्वीरों की महत्ता को बहुत प्यारे शब्द दिए आपने .....सच ये कल हो न हो का यह Instrumental music बहुत पसंद आया ...Good job :)
ReplyDeleteमन से निकली एक सुंदर कविता। अच्छा लगा इसे पढना।
ReplyDeleteसशवंत भाई, मैं भी लखनऊ में ही हूँ, मण्डी परिषद, पॉलीटेक्निक चौराहे के पास। कभी इधर से गुजरना हो, तो मिलें, प्रसन्नता होगी।
मेरा मोबाईल नं0 है 9935923334
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आपका सुनहरा भविष्यफल, सिर्फ आपके लिए।
खूबसूरत क्लियोपेट्रा के बारे में आप क्या जानते हैं?
सुन्दर रचना भावपूर्ण अभिव्यक्ति ... आभार
ReplyDeleteतस्वीरों के माध्यम से जीवन के कई सच सामने रखने में सक्षम कविता.
ReplyDeleteहै सौभाग्य!
ReplyDeleteइन तस्वीरों के साथ
हम जीते हैं
महसूस करते हैं
भावों को
आभावों को
किसी के गम को
किसी की ख़ुशी को ........
सुन्दर, बहुत सुन्दर भाव !
इन तस्वीरों के साथ
ReplyDeleteहम जीते हैं
महसूस करते हैं
भावों को
आभावों को
किसी के गम को
किसी की ख़ुशी को
सच कहा आपने ....
तस्वीरों का साथ ,,
अर्थात... जिंदगी के भरपूर लम्हों का साथ !
तस्वीरों को तस्वीरों से बाहर ला कर उन्हें जीवन देती पोस्ट
ReplyDeleteतस्वीरें तो हम सब ही रखते हैं लेकिन शायद इतनी अभिन्नता से इनके बारे मे सोचते नहीं हैं ,सुन्दर अभिव्यक्ति ।
ReplyDeleteमेरे ब्लोग पर आने के लिये धन्याद , जब भी वक्त हो फ़िर पधारें।
वाह...
ReplyDeleteतस्वीर कि इतनी सुन्दर व्याख्या...
बहुत सुन्दर...
किसी की तकदीर बन जाती हैं
ReplyDeleteरंक को राजा
राजा को रंक बना देती हैं
ये तस्वीरें
मुर्दों को भी जिला देती हैं
पत्थरों को पिघला देती हैं
कभी सिहरा देती हैं
कभी जमा देती हैं
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जिन्दगी का फलसफा यही है भाई .........शुक्रिया
tasveeron ko lekar ek bhavpoorn rachna ka shrijan..
ReplyDeletebahut sundar bhav..
fisrt time i visited ur blog //
ReplyDeleteये तस्वीरें
मुर्दों को भी जिला देती हैं
पत्थरों को पिघला देती हैं//
very true brother ..
i invite u to visit my blog also ..
http://babanpandey.blogspot.com
आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद.
ReplyDeleteकिसी के गम को
ReplyDeleteकिसी की ख़ुशी को ........
सुन्दर, बहुत सुन्दर भाव !
बहुत देर से पहुँच पाया ....माफी चाहता हूँ.
तस्वीरें बोलती हैं..
ReplyDeleteऔर आपकी ये कविता तो बहुत कुछ याद दिला रही है..
आपको भी कुछ याद जरूर आया होगा..
आपका लेखन गजब है शुरू से ही..आज पढ़ा तो अच्छा लगा