कभी कभी सोचता हूँ
हर चीज़ से
हो जाऊं अनजान
खाली सा हो जाऊं
किसी ब्लैंक
सी डी या डी वी डी
की तरह
और पहुँच जाऊं
कुछ हाथों मे
जो कुछ भी लिख दें
कुछ भी कह दें
अच्छा या बुरा
जो मन मे हो
और मैं
जान जाऊं
मन के भीतर के
दबे हुए
मौन का सच!
हर चीज़ से
हो जाऊं अनजान
खाली सा हो जाऊं
किसी ब्लैंक
सी डी या डी वी डी
की तरह
और पहुँच जाऊं
कुछ हाथों मे
जो कुछ भी लिख दें
कुछ भी कह दें
अच्छा या बुरा
जो मन मे हो
और मैं
जान जाऊं
मन के भीतर के
दबे हुए
मौन का सच!
मने के उद्गार ! बहुत भली लगी आपकी चाह ! बधाई!
ReplyDeleteसबके मनका अहसास ...जो कभी न कभी हर दिल में उठता है ...लेकिन कोई इतनी सादगी से समझा नहीं पाता...प्यारा लगा ......
ReplyDeleteऔर मैं
ReplyDeleteजान जाऊं
मन के भीतर के
दबे हुए
मौन का सच!
गहन अंतर्मन कि चाह .....
सुंदर शब्द
शुभकामनायें .
बहुत सुन्दर रचना .....
ReplyDeleteडॉ रमेश यादव जी का कहना है-
ReplyDeleteपता नहीं क्यों आपका ब्लॉग मेरा कमेन्ट नहीं ले रहा है
हमेशा मन की ही सुननी चाहिए.मन एक तरह का संकेतक है.उसको जानिए,समझिए और आगे बढ़िए.
बेहतर सृजन
शुभकामनाओं सहित !
बहुत सुंदर यशवंत.....
ReplyDeleteइतनी बड़ी बात कैसे आसानी से कह दी...............
बहुत सहज सी अभिव्यक्ति..........
खुश रहो...
सस्नेह
अनु
जो मन मे हो
ReplyDeleteऔर मैं
जान जाऊं
मन के भीतर के
दबे हुए
मौन का सच! ..............sunder abhivyakti ...kash aisa ho jaye .....bhitar ka sab sach samne aa jaye
और मैं
ReplyDeleteजान जाऊं
मन के भीतर के
दबे हुए
मौन का सच....ye sach janna khud ko janna hai ...aur khud ko jan gaye to aasman apni mutthi men hota hai....
koshish karne men kya harj hae.
ReplyDeleteकृपण हृदय ख्वाहिश करे,
ReplyDeleteकरना चाहे अर्पण ।
भाव हुए महरूम शब्द से,
झूठ ना बोले दर्पण ।।
मन की पीड़ा कुछ ऐसी भी होती है अक्सर.....
ReplyDeleteमन के भीतर के
ReplyDeleteदबे हुए
मौन का सच!
बहुत से प्रश्न अनुत्तरित नहीं रह सकेंगे .... !!
जान जाऊं
ReplyDeleteमन के भीतर के
दबे हुए
मौन का सच..mann ki baat sahaj shbdon mein kah daali
गहन भाव लिए सुंदर प्रस्तुति
ReplyDeleteमौन का सच जान लेना इतना आसान !
ReplyDelete- सुन्दर प्रस्तुति.
बधाई देना तो भूल ही गई थी .... 300 यानी तीसरी सेंचुरी ..... बहुत-बहुत बधाई ..... :)दिन दुनी रात चौगुनी तरक्की हो .... :)))))))))
ReplyDeleteबधाई !
ReplyDeleteमन का सच! बढि़या
ReplyDelete300 वीं पोस्ट की हार्दिक बधाई। ये मन जो ना कराये कम है।
ReplyDeletewhy don't you try to write some love poems.
ReplyDeleteLove your voice!
URVASHI
बहुत सुंदर कविता...बधाई !
ReplyDeletesundar rachna...man to bahut karta hai dusro ka man padhne ka..par agar hum sab ki soch ki parvah karne lage to shayad ji hi nahi payenge...
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर यशवंत.....बधाई ३०० वीं पोस्ट के लिए।
ReplyDeleteमेल पर प्राप्त -
ReplyDeleteindira mukhopadhyay ✆
10:43 AM
to me
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति है.
300 वीं पोस्ट की बहुत बहुत बधाई यशवंत भाई
ReplyDeleteसबसे पहले तो 300वीं पोस्ट के लिए बधाई .. बहुत ही अच्छा लिखा है ... शुभकामनाएं
ReplyDeleteaap jane pahchaane bane rahe yahi dua hai.. 300th post ke liye Dheron Badhayi aur ujjaval bhavishya ki shubhkamnayen :)
ReplyDelete300 वीं पोस्ट की बहुत बहुत बधाई यशवंत भाई
ReplyDeleteसुन्दर अभिव्यक्ति
बहुत खूब यशवंत जी , कभी न कभी हम सभी की इच्छा होती है एक शून्य बन जाने की............ सुन्दर अभिव्यक्ति!
ReplyDeleteकितना अच्छा होता ,
जो खाली होता ये मन
अनंत, अनादि, शून्य गगन सा,
न कोई हलचल न कोई तड़पन
पर व्योम नहीं ये तो सिन्धु है,
भावों के रत्न लिए अंतस में,
हरदम मंथन को प्रस्तुत,
शुक्रवारीय चर्चा-मंच पर
ReplyDeleteआप की उत्कृष्ट प्रस्तुति ।
charchamanch.blogspot.com
Bahut sundar..Sochi sachchi man ki bat ....
ReplyDeleteसच कहा आपने जो कुछ अन्दर होता है वह जब बाहर आता है तो मन की बात समझ आने लगती है..
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति ..
३०० वीं पोस्ट के लिए बधाई..
सुन्दर रचना .....
ReplyDelete३०० वीं पोस्ट के लिए ,यशवंत जी बहुत२ बधाई,..शुभ कामनाए
ReplyDeleteबहुत बढ़िया प्रस्तुति,सुंदर अभिव्यक्ति,
MY RECENT POST काव्यान्जलि ...: कवि,...
मन के भीतर के मौन को जानने की चाह भली लगी ...
ReplyDeleteतीन सौवीं पोस्ट की बहुत बधाई !
३०० वीं पोस्ट के लिए बधाई....
ReplyDeletewah, sundar kavita
ReplyDeleteकुछ शब्दों में गहरी बात ... मौन का अर्थ ...क्या इतना आसान है इसे पाना ...
ReplyDeleteवाह बहुत खूब ...सार्थक सोच
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