18 May 2013

उल्टी दिशा में

पुरानी किताब के
गलते पन्नों  की
धुंधलाती इबारतें
कभी कभी
सामने आ जाती हैं
अपने चटख रंग में
जब उन के बीच
कहीं दबा हुआ
पुराना सूखा फूल
ज़मीन पर गिर कर
ले चलता है समय को
उल्टी दिशा में।

~यशवन्त माथुर©

11 comments:

  1. पुरानी यादों को ताजा करने के कई ्बहाने है..सुन्दर प्रस्तुति

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  2. गलते पन्ने पर लिखी इबारत और सूखे फूल यादों के पन्नों के भीतर हमेशा तरोताजा रहता है और सुगंध विखेर रही होती है......

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  3. गलते पन्ने पर लिखी इबारत और सूखे फूल यादों के पन्नों के भीतर हमेशा तरोताजा रहता है और सुगंध विखेर रही होती है......

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  4. खूबसूरत अभिव्यक्ति
    हार्दिक शुभकामनायें

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  5. बहुत सुन्दर एहसास

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  6. bhot khub...aapne poorane dino ki yad diladi........

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  7. सचमुच बिलकुल ताज़ा हो जाती हैं पुरानी यादें... सुन्दर रचना

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  8. कहीं दबा हुआ
    पुराना सूखा फूल
    ज़मीन पर गिर कर
    ले चलता है समय को
    उल्टी दिशा में।

    आज भी महकता है वो सूखा हुआ फूल....

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  9. सचमुच बिलकुल ताज़ा हो जाती हैं पुरानी यादें... सुन्दर रचना
    संध्या शर्मा जी की बातों से पूर्णतः सहमत

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  10. जुडी रहती हैं कुछ यादें उसी सूखे फूल से ...
    यादों के झरोखे में लौटने का मन ...

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