बहुत अजीब होते हैं
पल पल
बदलते
मौसम के रंग
कभी
पलट देते हैं
मोड़ देते हैं
तैरती नावों के रुख
और कभी
अपनी ताकत से
चूर कर देते हैं
धरती का घमंड ....
इन रंगों में
कोई रंग
कभी देता है ठंडक
डाह मे जलते
झुलसते मन को
और कभी
कोई रंग
दहका देता है
भीतर की आग को
जो लावा की तरह
निकलती है बाहर
तीखे शब्दों के
सुलगते ज्वालामुखी से.....
मौसम के
इन बदलते
इन रंगों में
कोई रंग
कभी अपना सा
कभी गैर सा
लगता है
अपनी तरह
बदलता रहता है
मन को
मन की बातों को .....
ठंडी हवा के
मीठे-तीखे
एहसास
साथ लिए
रंग बदलते
मौसम के ढंग
बहुत अजीब होते हैं।
~यशवन्त यश©
owo15102014
पल पल
बदलते
मौसम के रंग
कभी
पलट देते हैं
मोड़ देते हैं
तैरती नावों के रुख
और कभी
अपनी ताकत से
चूर कर देते हैं
धरती का घमंड ....
इन रंगों में
कोई रंग
कभी देता है ठंडक
डाह मे जलते
झुलसते मन को
और कभी
कोई रंग
दहका देता है
भीतर की आग को
जो लावा की तरह
निकलती है बाहर
तीखे शब्दों के
सुलगते ज्वालामुखी से.....
मौसम के
इन बदलते
इन रंगों में
कोई रंग
कभी अपना सा
कभी गैर सा
लगता है
अपनी तरह
बदलता रहता है
मन को
मन की बातों को .....
ठंडी हवा के
मीठे-तीखे
एहसास
साथ लिए
रंग बदलते
मौसम के ढंग
बहुत अजीब होते हैं।
~यशवन्त यश©
owo15102014
सुंदर !
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति।
ReplyDelete--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बृहस्पतिवार (16-10-2014) को "जब दीप झिलमिलाते हैं" (चर्चा मंच 1768) पर भी होगी।
--
चर्चा मंच के सभी पाठकों को
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
sahi bat ...sundar prastuti .....
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति.... हर पल बदलता मौैसम का रूप अनोखा...
ReplyDeleteये दुनिया ही रंग बिरागी है, इसे महसूस करने वाले ही रचनाकार कहलाते हैं.अच्छा लिखा है.
ReplyDeleteवाह।। बेहतरीन
ReplyDeleteमौसम के इन रंगों को पार पाना कठिन है बहुत ....
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