15 October 2014

मौसम के रंग

बहुत अजीब होते हैं
पल पल
बदलते 
मौसम के रंग
कभी 
पलट देते हैं
मोड़ देते हैं 
तैरती नावों के रुख  
और कभी
अपनी ताकत से
चूर कर देते हैं
धरती का घमंड ....
इन रंगों में
कोई रंग 
कभी देता है ठंडक
डाह मे जलते
झुलसते मन को
और कभी
कोई रंग
दहका देता है
भीतर की आग को
जो लावा की तरह
निकलती है बाहर
तीखे शब्दों के
सुलगते ज्वालामुखी से.....
मौसम के
इन बदलते 
इन रंगों में
कोई रंग
कभी अपना सा
कभी गैर सा
लगता है
अपनी तरह
बदलता रहता है
मन को
मन की बातों को  .....
ठंडी हवा के
मीठे-तीखे
एहसास
साथ लिए 
रंग बदलते
मौसम के ढंग
बहुत अजीब होते हैं।

~यशवन्त यश©

owo15102014 

7 comments:

  1. बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बृहस्पतिवार (16-10-2014) को "जब दीप झिलमिलाते हैं" (चर्चा मंच 1768) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच के सभी पाठकों को
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. सुन्दर प्रस्तुति.... हर पल बदलता मौैसम का रूप अनोखा...

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  3. ये दुनिया ही रंग बिरागी है, इसे महसूस करने वाले ही रचनाकार कहलाते हैं.अच्छा लिखा है.

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  4. वाह।। बेहतरीन

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  5. मौसम के इन रंगों को पार पाना कठिन है बहुत ....

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