रोलर कोस्टर ज़िन्दगी.....
अपने उतार चढ़ावों के
एक एक पल में
समेटे रहती है ....
जाने कितनी ही खुशियाँ
और कितने ही गम .....
फिर भी रहते हैं हम
वैसे ही.....
कल आज और
कल की तरह...
थोड़े से शान्त
थोड़े से उतावले
टिक-टिक करती
बढ़ती जातीं
घड़ी की सुइयों
के पग चिह्नों को
नापते जाने के
कई सफल-असफल
प्रयासों के साथ
कभी
खुशियों से नाचते-गाते
और कभी
सर झुकाए
किसी सोच में डूब कर
आँखों से बहने को बेकरार
सैलाब को थाम कर
रोलर कोस्टर ज़िन्दगी
बंद पलकों के भीतर
दिखाती है
आरंभ से अंत का
एक अंतहीन
चलचित्र!
-यश©
24/08/2017
अपने उतार चढ़ावों के
एक एक पल में
समेटे रहती है ....
जाने कितनी ही खुशियाँ
और कितने ही गम .....
फिर भी रहते हैं हम
वैसे ही.....
कल आज और
कल की तरह...
थोड़े से शान्त
थोड़े से उतावले
टिक-टिक करती
बढ़ती जातीं
घड़ी की सुइयों
के पग चिह्नों को
नापते जाने के
कई सफल-असफल
प्रयासों के साथ
कभी
खुशियों से नाचते-गाते
और कभी
सर झुकाए
किसी सोच में डूब कर
आँखों से बहने को बेकरार
सैलाब को थाम कर
रोलर कोस्टर ज़िन्दगी
बंद पलकों के भीतर
दिखाती है
आरंभ से अंत का
एक अंतहीन
चलचित्र!
-यश©
24/08/2017
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (26-08-2017) को "क्रोध को दुश्मन मत बनाओ" (चर्चा अंक 2708) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
गणेश चतुर्थी की
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
जिंदगी को जो रोलर-कोस्टर होता हुआ देख रहा है, वह साक्षी ही जानने योग्य है, उसी में टिकना ही असली जीवन है..उसमें रहना जिसे आ जाता है..वह एक दिन द्वन्द्वों से मुक्त हो जाता है
ReplyDeleteसुन्दर रचना
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