14 February 2019

कफन पर 'प्यार' लिख कर वो.........

कफन पर 'प्यार' लिख कर वो, वतन पर मर-मिट जाते हैं।
एक हम ही हैं जो अपनी चादर में, और सिमट ही जाते हैं।
यह युद्ध नहीं फिर भी आखिर क्यूँ,  लम्हे ऐसे आते-जाते?
अपनी सीमा के भीतर ही क्यूँ, कतरे लहू के  बहते जाते ?
यह अंत नहीं आरम्भ है बंधु! अब और शहीद न होने देंगे ।
हिन्द का एक मजहब है सेना,अब इसको और न खोने देंगे ।
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पुलवामा के शहीद सैनिकों को विनम्र श्रद्धांजलि!

-यश ©
14/02/2019



4 comments:

  1. बहुत प्रेरक और सुन्दर अभिव्यक्ति...

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  2. श्रद्धाँजलि वीरों को।

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  3. विनम्र श्रद्धांजलि

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  4. सार्थक रचना

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