कुछ भी बनो इंसानों !
ऐसे मजबूर न बनो
ये आलम ऐसा है कि
कभी मजदूर न बनो।
न चलना पड़े पैदल
मीलों को नापते -नापते
न होना पड़े रुखसत
कहीं हांफते-हांफते।
कुछ भी बनो इंसानों !
बस कोई गुरूर न बनो
बेकदरी ही मिलेगी यहाँ
कभी मजदूर न बनो।
-यशवन्त माथुर©
25/04/2020
ऐसे मजबूर न बनो
ये आलम ऐसा है कि
कभी मजदूर न बनो।
न चलना पड़े पैदल
मीलों को नापते -नापते
न होना पड़े रुखसत
कहीं हांफते-हांफते।
कुछ भी बनो इंसानों !
बस कोई गुरूर न बनो
बेकदरी ही मिलेगी यहाँ
कभी मजदूर न बनो।
-यशवन्त माथुर©
25/04/2020
बहुत बढ़िया
ReplyDeleteसच मजदूर मजबूर का ही दूसरा नाम है, लेकिन ये भी सच है कि इनके बिना बड़े-बड़े धन्ना सेठों का भी काम नहीं चल सकता है इस संसार में
ReplyDeleteबहुत अच्छी प्रस्तुति