अच्छा नहीं लगता
जब देखता-सुनता हूँ खबरें
कि कहीं
दुनिया के किसी कोने में
भूख और प्यास से तड़प कर
मर जाता है कोई।
अच्छा नहीं लगता
जब तस्वीरें दिखाती हैं
कहीं कूड़े की तरह
बिखरा हुआ अनाज और
किसी पंप से
यूं ही बहता हुआ पानी।
अच्छा नहीं लगता
जब खुद को
घर में कैद पाता हूँ
दो वक्त या उससे ज्यादा
जितना मन हो खाता हूँ ।
अच्छा नहीं लगता
कि इतना सब कुछ भी
कुछ नहीं के जैसा है
किसी को नसीब हैं
महल और महफिलें
और कोई
अपनी भूख को खाता
पसीने को पीता है।
-यशवन्त माथुर©
26/04/2020
जब देखता-सुनता हूँ खबरें
कि कहीं
दुनिया के किसी कोने में
भूख और प्यास से तड़प कर
मर जाता है कोई।
अच्छा नहीं लगता
जब तस्वीरें दिखाती हैं
कहीं कूड़े की तरह
बिखरा हुआ अनाज और
किसी पंप से
यूं ही बहता हुआ पानी।
अच्छा नहीं लगता
जब खुद को
घर में कैद पाता हूँ
दो वक्त या उससे ज्यादा
जितना मन हो खाता हूँ ।
अच्छा नहीं लगता
कि इतना सब कुछ भी
कुछ नहीं के जैसा है
किसी को नसीब हैं
महल और महफिलें
और कोई
अपनी भूख को खाता
पसीने को पीता है।
-यशवन्त माथुर©
26/04/2020
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