महामारी के तूफान से भरा
यह कैसा वर्तमान जो अपने भूत और भविष्य को
धूल के गुबारों में लेकर
बढ़ता चला जा रहा है
इतिहास बनता जा रहा है।
क्या कभी सोचा था
कि शांत धारा के भीतर मचा भूचाल
इस तरह से अपने रंग दिखाएगा
जो कुछ था गतिमान
सब ठहर जाएगा
थम जाएगा।
यह सच है
और सच यह भी है
कि विश्व विजेता इंसान
प्रकृति से हारा ही है
मैदान छोड़ कर
सदा भागा ही है।
यह तूफान चेता रहा है
कि सुधर जाओ
अपनी हदों में सिमट जाओ
वरना नई प्रजाति का भविष्य
अपनी किताबों में पढ़ेगा
लुप्त हो चुके मानव की
विनाश गाथा।
-यशवन्त माथुर ©
15/05/2020
Genius thoughts
ReplyDeleteExtremely well drafted contain deep message for all human beings.
Very well said..
जैसे पढ़ते हैं हम सिंधु घाटी की सभ्यता का इतिहास, मानव यदि विकास के नाम पर विनाश के बीज बोता रहा तो वह दिन दूर नहीं, लेकिन आज भी प्रकृति के पहरेदार हैं जो इस मानवता को नए रूप में आगे ले जायेंगे
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