कुछ प्रश्न
हमेशा
सिर्फ प्रश्न ही रहते हैं
क्योंकि
उनके उत्तरों में लगा
प्रश्न चिह्न
कभी मिटने नहीं देता
अपना अबूझ
अस्तित्व!
©यशवन्त माथुर©
हमेशा
सिर्फ प्रश्न ही रहते हैं
क्योंकि
उनके उत्तरों में लगा
प्रश्न चिह्न
कभी मिटने नहीं देता
अपना अबूझ
अस्तित्व!
©यशवन्त माथुर©
सुन्दर प्रस्तुति अनुत्तरित यक्ष प्रश्नों में उलझती जा रही है जिंदगी ,उत्तर सभी प्रश्नों के देना संभव है ही नही
ReplyDeleteशुभप्रभात बेटे :))
ReplyDeleteकुछ प्रश्न अनुत्तरित ही रह जाते हैं !!
शुभकामनायें !!
प्रश्न होते ही हैं उत्तर खोजने के लिए हाँ ये अलग बात है कि उनके उत्तर हमारे लायक या समसामयिक न हों लेकिन आज तक ऐसा कोई प्रश्न नहीं बना जिसका हल न हो>>>>>>>>>
ReplyDeleteबढ़िया प्रस्तुति |
ReplyDeleteबधाई ||
बहुत सुन्दर आभार..
ReplyDeleteक्योंकि सच का भय बहुत बुरा होता है यशवंत भाई. एक सवाल पूछिए और सौ सवालों से बना उत्तर हाज़िर. सही देखा और किया है आपने.
ReplyDeleteजिनके उत्तर में ही प्रश्नवाचक चिन्ह लग जाते हों वो प्रश्न प्रश्न ही रह जाते है।
ReplyDeleteछोटी लेकिन लाजवाब प्रस्तुती।
recent poem : मायने बदल गऐ
हाँ कुछ प्रश्नों के हल नहीं होते, या हल किये ही नहीं जाते हैं, कुछ सवाल. जैसे आज खड़ा है एक सवाल सर उठाकर... गहन भाव
ReplyDeleteजब प्रश्न ही न रहे तभी उत्तर मिलता है..वरना हर उत्तर एक प्रश्न ही है..सुंदर प्रस्तुति !
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (06-01-2013) के चर्चा मंच-1116 (जनवरी की ठण्ड) पर भी होगी!
--
कभी-कभी मैं सोचता हूँ कि चर्चा में स्थान पाने वाले ब्लॉगर्स को मैं सूचना क्यों भेजता हूँ कि उनकी प्रविष्टि की चर्चा चर्चा मंच पर है। लेकिन तभी अन्तर्मन से आवाज आती है कि मैं जो कुछ कर रहा हूँ वह सही कर रहा हूँ। क्योंकि इसका एक कारण तो यह है कि इससे लिंक सत्यापित हो जाते हैं और दूसरा कारण यह है कि किसी पत्रिका या साइट पर यदि किसी का लिंक लिया जाता है उसको सूचित करना व्यवस्थापक का कर्तव्य होता है।
सादर...!
नववर्ष की मंगलकामनाओं के साथ-
सूचनार्थ!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सच है.....
ReplyDeleteसच है...
ReplyDeleteइन्ही प्रश्नों में जिंदगी उलझती जाती और तमाम उम्र गुजर जाती है...
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