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दिन भर घर के बाहर की सड़क पर खूब कोलाहल रहता है और सांझ ढलते सड़क के दोनों किनारों पर लग जाता है मेला सज जाती हैं दुकानें चाट के ठेलों...
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इधर कुछ दिनों से पापा ने सालों से सहेजी अखबारी कतरनों को फिर से देखना शुरू किया है। इन कतरनों में महत्त्वपूर्ण आलेख और चित्र तो हैं ही साथ ह...
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जीवन के अनवरत चलने के क्रम में अक्सर मील के पत्थर आते जाते हैं हम गुजरते जाते हैं समय के साथ कहाँ से कहाँ पहुँच जाते हैं कभी शून्य से...
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खबर वह होती है जो निष्पक्ष तरीके से सबके सामने आए और पत्रकारिता वह है जो जिसमें सही को सही और गलत को गलत कहने का साहस हो। जिसमें कुछ भी छुपा...
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बोल निराशा के, कभी तो मुस्कुराएंगे। जो बीत चुके दिन, कभी तो लौट के आएंगे। चलता रहेगा समय का पहिया, होगी रात तो दिन भी होगा। माना कि ...
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इसके पहले कैसा था इसके पहले ऐसा था वैसा था, जैसा था थोड़ा था लेकिन पैसा था। इसके पहले थे अच्छे दिन कटते नहीं थे यूँ गिन-गिन। इसके प...
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कुछ लोग जो उड़ रहे हैं आज समय की हवा में शायद नहीं जानते कि हवा के ये तेज़ झोंके वेग कम होने पर जब ला पटकते हैं धरती पर तब कोई नहीं रह प...
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हम सिर्फ सोचते रह जाते हैं ख्यालों के बादल आ कर चले जाते हैं Shot by Samsung M30s-Copyright-Yashwant Mathur© मैं चाहता हूँ...
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फ्यू चर ग्रुप की बदहाली की खबरें काफी दिन से सुनने में आ रही हैं और आज एक और खबर सुनने में आ रही है कि आई पी एल 2020 की एसोसिएट -स्पॉन्स...
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किसान! खून-पसीना एक कर दाना-दाना उगाता है हमारी रसोई तक आकर जो भोजन बन पाता है इसीलिए कभी ग्राम देवता कभी अन्नदाता कहलाता है लेकिन ...