कविताओं में
लेखों में
बैनरों मे लिखे नारों मे
जुलूसों में
सेमिनारों में
होती हैं
बड़ी बड़ी बातें
एक पल को
जो मन को भाती हैं
तर्क की कसौटी पर
सधी हुई बातें
जो
कुतर्कों से
कट नहीं पाती हैं
अच्छी लगती हैं
मंच के सामने बैठ कर
सुनने में
और कुर्सी से उठने के बाद
मंच से बोलने के बाद
ये अनमोल बातें
खो देती हैं मोल
हार जाती हैं
धूल की तरह जमी हुई
बरसों पुरानी सोच से
तर्क के भीतर छुपे
कुतर्क से
शायद बातों की
यही नियति है ।
©यशवन्त माथुर©
लेखों में
बैनरों मे लिखे नारों मे
जुलूसों में
सेमिनारों में
होती हैं
बड़ी बड़ी बातें
एक पल को
जो मन को भाती हैं
तर्क की कसौटी पर
सधी हुई बातें
जो
कुतर्कों से
कट नहीं पाती हैं
अच्छी लगती हैं
मंच के सामने बैठ कर
सुनने में
और कुर्सी से उठने के बाद
मंच से बोलने के बाद
ये अनमोल बातें
खो देती हैं मोल
हार जाती हैं
धूल की तरह जमी हुई
बरसों पुरानी सोच से
तर्क के भीतर छुपे
कुतर्क से
शायद बातों की
यही नियति है ।
©यशवन्त माथुर©
अच्छी हैं......बातों की नियति........तर्क के भीतर छुपे
ReplyDeleteकुतर्क से.........
बेहतरीन अभिव्यक्ति,,,,,,,
ReplyDeleteRECENT POST,,,,,काव्यान्जलि ...: आश्वासन,,,,,
और कुर्सी से उठने के बाद
ReplyDeleteमंच से बोलने के बाद
ये अनमोल बातें
खो देती हैं मोल
हार जाती हैं
धूल की तरह जमी हुई
बरसों पुरानी सोच से
तर्क के भीतर छुपे
कुतर्क से
सच है .... बहुत गहरी बात कही
वाह ... बेहतरीन प्रस्तुति ..
ReplyDeleteसत्य! काश कि बातों के मायने बदल पायें... और नियति भी..
ReplyDeleteसादर
वाह ☺
ReplyDeleteबहुत खूब ... आपने असली बात कह दी ...
ReplyDeletePar niyati kabhi badli kaha h....jo likha h wo to ho k hi rehta h...
ReplyDeleteबातों की नियत शब्दों के द्वारा ,बहुत खूब यशवंत जी....
ReplyDeleteऔर कुर्सी से उठने के बाद
ReplyDeleteमंच से बोलने के बाद
ये अनमोल बातें
खो देती हैं मोल
हार जाती हैं
धूल की तरह जमी हुई
बरसों पुरानी सोच से
तर्क के भीतर छुपे
कुतर्क से
बिलकुल सही कहा .... बात सिर्फ बात करने के लिए होती है ....
वाह...
ReplyDeleteबहुत बढ़िया प्रस्तुति यशवंत..
सस्नेह.
Agree.. ppl are fated to talk..
ReplyDeleteto talk about almost everything :P
शायद बातों की
ReplyDeleteयही नियति है ।
वाह ... बहुत ही अच्छी प्रस्तुति।
बेहतरीन रचना
ReplyDelete:-)
बेहतरीन रचना
ReplyDelete:-)
सुन्दर और शानदार प्रस्तुति।
ReplyDeleteवाह बहुत खूब जी ....बाते हैं बातो का क्या हैं .......कृपया दिल पर ना ...सिर्फ बाते ही तो हैं ...
ReplyDeleteशायद बातों की
ReplyDeleteयही नियति है ।
होती नहीं अगर
हमारी नियत सही होती |
bahut achha likha hai. satik avlokan.
ReplyDeleteshubhkamnayen
आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल कल रविवार को 08 -07-2012 को यहाँ भी है
ReplyDelete.... आज हलचल में .... आपातकालीन हलचल .
धूल की तरह जमी हुई
ReplyDeleteबरसों पुरानी सोच से
तर्क के भीतर छुपे
कुतर्क से
गहन अभिव्यक्ति है ....बहुत अच्छा लिखा है ...कुछ बातें सिर्फ बातें ही रह जातीं हैं अगर हमारी सोच उसे ग्रहण ना करे ......!!
शुभकामनायें यशवंत.....
बहुत सुंदर सटीक प्रस्तुती ....
ReplyDeleteबहुत गहन भाव अभिव्यक्ति ...वास्तव में अपने ब्यवहार में सत्य का अन्वेषण ओर अनुपालन करना कठिन हो गया है ....शुभ कामनाएं यशवंत जी ..
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग में लोग इन तथा सेट्टिंग की समस्या आ गयी है जबसे मेने डायनामिक व्यू चयनित किया है ...इसलिय इन कठिनाईयों के कारण काफी समय से में ब्लॉग में नहीं आ पा रहा हूँ .....
क्षमा याचना सहित
सादर !!!