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24 June 2012

बातों की नियति

कविताओं में
लेखों में
बैनरों मे लिखे नारों मे
जुलूसों में
सेमिनारों में
होती हैं
बड़ी बड़ी बातें
एक पल को
जो मन को भाती  हैं
तर्क की कसौटी पर
सधी हुई बातें
जो
कुतर्कों से
कट नहीं पाती हैं
अच्छी लगती हैं
मंच के सामने बैठ कर
सुनने में
और कुर्सी से उठने के बाद
मंच से बोलने के बाद
ये अनमोल बातें
खो देती हैं मोल
हार जाती हैं
धूल की तरह जमी हुई
बरसों पुरानी सोच से
तर्क के भीतर छुपे
कुतर्क से

शायद बातों की
यही नियति है । 


©यशवन्त माथुर©

23 comments:

  1. अच्छी हैं......बातों की नियति........तर्क के भीतर छुपे
    कुतर्क से.........

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  2. और कुर्सी से उठने के बाद
    मंच से बोलने के बाद
    ये अनमोल बातें
    खो देती हैं मोल
    हार जाती हैं
    धूल की तरह जमी हुई
    बरसों पुरानी सोच से
    तर्क के भीतर छुपे
    कुतर्क से

    सच है .... बहुत गहरी बात कही

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  3. वाह ... बेहतरीन प्रस्‍तुति ..

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  4. सत्य! काश कि बातों के मायने बदल पायें... और नियति भी..
    सादर

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  5. बहुत खूब ... आपने असली बात कह दी ...

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  6. Par niyati kabhi badli kaha h....jo likha h wo to ho k hi rehta h...

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  7. बातों की नियत शब्दों के द्वारा ,बहुत खूब यशवंत जी....

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  8. और कुर्सी से उठने के बाद
    मंच से बोलने के बाद
    ये अनमोल बातें
    खो देती हैं मोल
    हार जाती हैं
    धूल की तरह जमी हुई
    बरसों पुरानी सोच से
    तर्क के भीतर छुपे
    कुतर्क से

    बिलकुल सही कहा .... बात सिर्फ बात करने के लिए होती है ....

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  9. वाह...
    बहुत बढ़िया प्रस्तुति यशवंत..

    सस्नेह.

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  10. Agree.. ppl are fated to talk..
    to talk about almost everything :P

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  11. शायद बातों की
    यही नियति है ।
    वाह ... बहुत ही अच्‍छी प्रस्‍तुति।

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  12. सुन्दर और शानदार प्रस्तुति।

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  13. वाह बहुत खूब जी ....बाते हैं बातो का क्या हैं .......कृपया दिल पर ना ...सिर्फ बाते ही तो हैं ...

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  14. शायद बातों की
    यही नियति है ।
    होती नहीं अगर
    हमारी नियत सही होती |

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  15. bahut achha likha hai. satik avlokan.
    shubhkamnayen

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  16. आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल कल रविवार को 08 -07-2012 को यहाँ भी है

    .... आज हलचल में .... आपातकालीन हलचल .

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  17. धूल की तरह जमी हुई
    बरसों पुरानी सोच से
    तर्क के भीतर छुपे
    कुतर्क से

    गहन अभिव्यक्ति है ....बहुत अच्छा लिखा है ...कुछ बातें सिर्फ बातें ही रह जातीं हैं अगर हमारी सोच उसे ग्रहण ना करे ......!!
    शुभकामनायें यशवंत.....

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  18. बहुत सुंदर सटीक प्रस्तुती ....

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  19. बहुत गहन भाव अभिव्यक्ति ...वास्तव में अपने ब्यवहार में सत्य का अन्वेषण ओर अनुपालन करना कठिन हो गया है ....शुभ कामनाएं यशवंत जी ..
    मेरे ब्लॉग में लोग इन तथा सेट्टिंग की समस्या आ गयी है जबसे मेने डायनामिक व्यू चयनित किया है ...इसलिय इन कठिनाईयों के कारण काफी समय से में ब्लॉग में नहीं आ पा रहा हूँ .....
    क्षमा याचना सहित
    सादर !!!

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