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10 March 2011

क्षणिका

बीतते वक़्त की
तरह
मैं भी
बीत जाना चाहता हूँ
और
छोड़ जाना चाहता  हूँ
कुछ निशाँ
कल फिर
याद आने के लिए.

14 comments:

  1. लाजवाब क्षणिका। शुभकामनायें

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  2. बहुत खूब्…………शानदार्।

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  3. आपका मन सही कह रहा है. कुछ निशां नहीं छोड़े तो समझो बिलकुल मिट गए. बधाई.

    www.dunali.blog.com

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  4. अच्छे भावों की सुन्दर क्षणिका

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  5. अच्छी लगी क्षणिका .... बहुत खूब

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  6. प्रिय यशवंत जी
    सस्नेह अभिवादन !

    छोड़ जाना चाहता हूं
    कुछ निशां
    कल फिर
    याद आने के लिए

    बहुत प्यारी क्षणिका लिखी भाई !
    चलती रहे , निखरती रहे आपकी लेखनी … अस्तु !


    भुलाना मुझे इतना आसां न होगा
    कई दास्तानें दिये जा रहा हूं …


    …और तीन दिन पहले आए
    विश्व महिला दिवस की हार्दिक बधाई !
    शुभकामनाएं !!
    मंगलकामनाएं !!!

    ♥मां पत्नी बेटी बहन;देवियां हैं,चरणों पर शीश धरो!♥


    - राजेन्द्र स्वर्णकार

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  7. bahut khub

    ------------
    देवेन्द्र दत्त मिश्र जी से मिलवाने के लिए आभार...

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  8. आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद!

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  9. होली की अपार शुभ कामनाएं...बहुत ही सुन्दर ब्लॉग है आपका....मनभावन रंगों से सजा...

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  10. शानदार् शानदार् शानदार्....अच्छी लगी क्षणिका यशवंत भाई

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