bahar dikhta hai, andar ... ?kuch shabdon ne andar ki sunami ko darsha diya
sach kaha !
मन की सुनामी भी कम खतरनाक नहीं
हम्म... प्रकृति को सुनामियों/ भूकंपो की प्रेरणा अमरीका से मिलती है...
...पहले गिराओ फिर बनाओ, नोट कमाओ
very true visit my blog plzDownload latest musicLyrics mantra
होली की अपार शुभ कामनाएं...बहुत ही सुन्दर ब्लॉग है आपका....मनभावन रंगों से सजा...
सच कहा यशवंत जी…………बेहद विनाशकारी होती हैं ऐसी लहरें फिर चाहे वो नवनिर्माण का आधार ही क्यो ना रख रही हों मगर है तो विध्वंसक ही।
बहुत खूब !
बहुत सच कहा है ..बहुत विध्वंशकारी होती हैं ये लहरें, चाहे सागर की हों या मन की..
छोटी सी पर बहुत सुन्दर कविता...बधाई. __________________पाखी के मामा जी को मिला बेस्ट जिला कलेक्टर का अवार्ड.
Yashwant ji bahut sahi kaha hai aapne ...
सही बात कही है आपने..अच्छी अभिव्यक्ति...
aapne bilkul sahi kaha ab dekho n japan ki dukhad ghatna .bilkul sahi baat
आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद!
रख देती हैं नींवविध्वंस औरनव निर्माण की.wah. kitna sundar likha hai.
Kitni achchi baat likhi aapne....
ये लहरेंकभी समुद्र मेंसुनामी बनकर उमडती हैंकभी मन मेंविचार बनकररख देती हैं नींवविध्वंस औरनव निर्माण की.बहुत संवेदनशील ....मार्मिक भावों की प्रभावी अभिव्यक्ति .......
सही बात कही है आपने..अच्छी अभिव्यक्ति.
रचना छोटी सी है ... पर बात बहुत बड़ी .... बहुत खूब ...
गागर में सागर सी समाई ये ये लहरे तो आपकी रचना में ...!!--------------क्या नाम दें?
बहुत खूब ...खूबसूरत रचना के लिए आपको हार्दिक बधाई।
apki har rachna ki ek khas baat hai bhut kam sabdo me bhut kuch kah dena.. bhut hi acche se aap kar lete hai...
bahar dikhta hai, andar ... ?
ReplyDeletekuch shabdon ne andar ki sunami ko darsha diya
sach kaha !
ReplyDeleteमन की सुनामी भी कम खतरनाक नहीं
ReplyDeleteहम्म... प्रकृति को सुनामियों/ भूकंपो की प्रेरणा अमरीका से मिलती है...
ReplyDelete...पहले गिराओ फिर बनाओ, नोट कमाओ
ReplyDeletevery true visit my blog plz
ReplyDeleteDownload latest music
Lyrics mantra
होली की अपार शुभ कामनाएं...बहुत ही सुन्दर ब्लॉग है आपका....मनभावन रंगों से सजा...
ReplyDeleteसच कहा यशवंत जी…………बेहद विनाशकारी होती हैं ऐसी लहरें फिर चाहे वो नवनिर्माण का आधार ही क्यो ना रख रही हों मगर है तो विध्वंसक ही।
ReplyDeleteबहुत खूब !
ReplyDeleteबहुत सच कहा है ..बहुत विध्वंशकारी होती हैं ये लहरें, चाहे सागर की हों या मन की..
ReplyDeleteछोटी सी पर बहुत सुन्दर कविता...बधाई.
ReplyDelete__________________
पाखी के मामा जी को मिला बेस्ट जिला कलेक्टर का अवार्ड.
Yashwant ji bahut sahi kaha hai aapne ...
ReplyDeleteसही बात कही है आपने..अच्छी अभिव्यक्ति...
ReplyDeleteaapne bilkul sahi kaha ab dekho n japan ki dukhad ghatna .
ReplyDeletebilkul sahi baat
आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद!
ReplyDeleteरख देती हैं नींव
ReplyDeleteविध्वंस और
नव निर्माण की.
wah. kitna sundar likha hai.
Kitni achchi baat likhi aapne....
ReplyDeleteये लहरें
ReplyDeleteकभी समुद्र में
सुनामी बनकर उमडती हैं
कभी मन में
विचार बनकर
रख देती हैं नींव
विध्वंस और
नव निर्माण की.
बहुत संवेदनशील ....
मार्मिक भावों की प्रभावी अभिव्यक्ति .......
सही बात कही है आपने..अच्छी अभिव्यक्ति.
ReplyDeleteरचना छोटी सी है ... पर बात बहुत बड़ी .... बहुत खूब ...
ReplyDeleteगागर में सागर सी समाई ये ये लहरे तो आपकी रचना में ...!!
ReplyDelete--------------
क्या नाम दें?
बहुत खूब ...
ReplyDeleteखूबसूरत रचना के लिए आपको हार्दिक बधाई।
apki har rachna ki ek khas baat hai bhut kam sabdo me bhut kuch kah dena.. bhut hi acche se aap kar lete hai...
ReplyDelete