सच कहा-
न मैं होता तो
क्या तुम न होते
और जो तुम न होते
तो क्या मैं न होता
मैंने गलती की
या नहीं की
नहीं पता
पर
इतना जानता हूँ
कि मुझ को
समझ न सके तुम.
न मैं होता तो
क्या तुम न होते
और जो तुम न होते
तो क्या मैं न होता
मैंने गलती की
या नहीं की
नहीं पता
पर
इतना जानता हूँ
कि मुझ को
समझ न सके तुम.
well said....
ReplyDeleteजीवन में अक्सर ऐसा ही होता है !
ReplyDeleteसारगर्भित कविता !
सुंदर कविता
ReplyDeleteआपका आभार
ब्लॉग पर अनियमितता होने के कारण आप से माफ़ी चाहता हूँ ..
hota hai aisa bhi kabhi kabhi ...bahut sundar kavita .
ReplyDeletebahut khub....
ReplyDeleteachha hai
ReplyDeleteबहुत अर्थपूर्ण कविता ...ऐसा भी समय आता है...
ReplyDeleteबहुत बढ़िया..
ReplyDeleteकभी कभी ऐसा होता है।आपको सपरिवार होली की हार्दिक शुभकामनायें।
ReplyDeleteऐसा भी होता है…………होली की हार्दिक शुभकामनायें।
ReplyDeleteitni dard bhari rachna sab thik hai n dost :)
ReplyDeleteआपको परिवार- सहित होली की बहुत - बहुत बधाई दोस्त |
हफ़्तों तक खाते रहो, गुझिया ले ले स्वाद.
ReplyDeleteमगर कभी मत भूलना,नाम भक्त प्रहलाद.
होली की हार्दिक शुभकामनायें.
आप सभी को बहुत बहुत धन्यवाद!
ReplyDeleteबहुत खुब।
ReplyDeleteहोली के पर्व की अशेष मंगल कामनाएं। ईश्वर से यही कामना है कि यह पर्व आपके मन के अवगुणों को जला कर भस्म कर जाए और आपके जीवन में खुशियों के रंग बिखराए।
ReplyDeleteआइए इस शुभ अवसर पर वृक्षों को असामयिक मौत से बचाएं तथा अनजाने में होने वाले पाप से लोगों को अवगत कराएं।