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17 March 2011

समझ न सके तुम

सच कहा-
न मैं होता तो
क्या तुम न होते
और जो तुम न होते
तो क्या मैं न होता
मैंने गलती की
या नहीं की
नहीं पता
पर
इतना जानता हूँ
कि मुझ को
समझ न सके तुम.

15 comments:

  1. जीवन में अक्सर ऐसा ही होता है !
    सारगर्भित कविता !

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  2. सुंदर कविता
    आपका आभार
    ब्लॉग पर अनियमितता होने के कारण आप से माफ़ी चाहता हूँ ..

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  3. hota hai aisa bhi kabhi kabhi ...bahut sundar kavita .

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  4. बहुत अर्थपूर्ण कविता ...ऐसा भी समय आता है...

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  5. बहुत बढ़िया..

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  6. कभी कभी ऐसा होता है।आपको सपरिवार होली की हार्दिक शुभकामनायें।

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  7. ऐसा भी होता है…………होली की हार्दिक शुभकामनायें।

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  8. itni dard bhari rachna sab thik hai n dost :)
    आपको परिवार- सहित होली की बहुत - बहुत बधाई दोस्त |

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  9. हफ़्तों तक खाते रहो, गुझिया ले ले स्वाद.
    मगर कभी मत भूलना,नाम भक्त प्रहलाद.
    होली की हार्दिक शुभकामनायें.

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  10. आप सभी को बहुत बहुत धन्यवाद!

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  11. होली के पर्व की अशेष मंगल कामनाएं। ईश्वर से यही कामना है कि यह पर्व आपके मन के अवगुणों को जला कर भस्म कर जाए और आपके जीवन में खुशियों के रंग बिखराए।
    आइए इस शुभ अवसर पर वृक्षों को असामयिक मौत से बचाएं तथा अनजाने में होने वाले पाप से लोगों को अवगत कराएं।

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