सोचा न था
यूँ चलते चलते
कहीं अचानक
मिल जाओगे
और दिखा दोगे
अपना असली चेहरा
मैं तो मोहित था
तुम्हारे रूप पर
कितनी कल्पनाएँ की थीं
कितने भ्रम में
जोड़ रहा था
तिनका तिनका
ख़्वाबों को
बुन रहा था
एहसासों को
या उलझा रहा था
मन के नेह को ?
सोचा न था
चेहरे के पीछे
तुम एक और
चेहरा लिए घूम रहे हो
एक काला
क्रूर चेहरा
जिससे नफरत है ..
सख्त नफरत है ...
मुझको
गले में
दोगलेपन की माला डाले
यूँ खेलोगे मुझ से
सोचा न था.
यूँ चलते चलते
कहीं अचानक
मिल जाओगे
और दिखा दोगे
अपना असली चेहरा
मैं तो मोहित था
तुम्हारे रूप पर
कितनी कल्पनाएँ की थीं
कितने भ्रम में
जोड़ रहा था
तिनका तिनका
ख़्वाबों को
बुन रहा था
एहसासों को
या उलझा रहा था
मन के नेह को ?
सोचा न था
चेहरे के पीछे
तुम एक और
चेहरा लिए घूम रहे हो
एक काला
क्रूर चेहरा
जिससे नफरत है ..
सख्त नफरत है ...
मुझको
गले में
दोगलेपन की माला डाले
यूँ खेलोगे मुझ से
सोचा न था.
बहुत खूब | एक तो सुन्दर कविता उस पर कानों तक पहुंचता मधुर संगीत यकीनन कविता की खूबसूरती और बढ़ा रहा है |
ReplyDelete200वीं पोस्ट पर बल्ले बल्ले :)
ReplyDeleteसच से साक्षात्कार आखिर हो ही गया। चलो एक तरह से ये भी अच्छा रहा। क्योंकि सच जितनी जल्दी समझ में आ जाए, उतना कम पीडा देता है।
ReplyDelete200वीं रचना की हार्दिक बधाई।
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गुडिया रानी हुई सयानी...
सीधे सच्चे लोग सदा दिल में उतर जाते हैं।
गले में
ReplyDeleteदोगलेपन की माला डाले
यूँ खेलोगे मुझ से
सोचा न था.
मुखौटे पहने इस समाज में पीछे का चेहरा दिखाई नहीं देता शायद , अच्छे शब्द बधाई
bhut hi sahi kaha apne.. ham sabhi kahi na kahi isse parchit hote rahte hai...
ReplyDeleteइस समाज में अधिकाश लोग दोहरे चरित्र के ही हैं...सामने कुछ और पीछे कुछ और....
ReplyDelete100 % truth
ReplyDeletepeople these days wears a kind of mask, you never know who is hiding what.Environment is overflowing with imitators and mimickers... Reality lives somewhere hidden.
Nice post again !!
दोगलेपन की माला..
ReplyDeletebade mahatpoorn shabd hain.... Bdhai..
200 वीं पोस्ट की बधाई।
ReplyDeleteकविता के भाव अच्छे लगे।
विचार
200वीं पोस्ट की बधाई...
ReplyDeleteमेरे ख्याल से तो हर इंसान दो चेहरे ले कर घूमता है.. बस पहचान नहीं आता और उसे ही कला कहते हैं..
ReplyDeleteसुन्दर रचना...
सुख-दुःख के साथी पर आपके विचारों का इंतज़ार है..
आभार
यशवंत जी बहुत भावपूर्ण अभिव्यक्ति प्रस्तुत की है आपने.२०० वीं पोस्ट की बहुत बहुत बधाई.
ReplyDeleteसबसे पहले २००वी पोस्ट के लिए बधाई .और अब बधाई इतनी सुंदर कविता के लिए ...लिखते लिखते ...देखते देखते ही कुछ बातें समझ में आतीं हैं ...जो होतीं तो हमेशा से हैं पर समझ में देर से आतीं हैं ...!!
ReplyDeleteबधाई।
ReplyDeleteआदरणीया उर्मी चक्रवर्ती जी ने मेल द्वारा यह टिप्पणी भेजी है-
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यशवंत जी
मुझे आपका नया पोस्ट बहुत अच्छा लगा! मैंने काफी बार कोशिश की टिप्पणी देने की पर असमर्थ रहा इसलिए मेल द्वारा टिप्पणी भेज रही हूँ!
२०० वी पोस्ट पूरे होने कि हार्दिक बधाइयाँ!
बहुत सुन्दर शब्दों से सुसज्जित की हुई रचना प्रशंग्सनीय है! उम्दा प्रस्तुती!
उर्मी
कविताओं के दोहरे शतक पर हार्दिक शुभकामनायें .
ReplyDeleteप्रस्तुत कविता में जो भाव आपने व्यक्त किये हैं शायद हम सभी का सामना इस प्रकार की परस्थितियों से जीवन में होता रहता है .एक फिल्म का गाना भी तो है -दिल को देखो चेहरा न देखो .चेहरों ने लाखों को लूटा ''
बहुत ही बेहतरीन अभियक्ति.... दोहरे शतक के लिए बहुत-बहुत बधाई!
ReplyDeleteप्रेमरस.कॉम
रचना बहुत बढ़िया है!
ReplyDelete200वीं पोस्ट की बधाई!
संजय भास्कर जी की मेल द्वारा प्राप्त टिप्पणी
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यशवंत भाई
नमस्कार
मैं आपके ब्लॉग पर टिपण्णी नहीं कर पा रहा हूँ आपका टिपण्णी बॉक्स ही नहीं खुल रहा है
इसलिए मेल द्वारा टिप्पणी भेज रहा हूँ!
यशवंत भाई जवाब नहीं आपका
बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति प्रस्तुत की है आपने दोहरे शतक की बहुत बहुत बहुत बधाई.
आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद!
ReplyDelete२००वीं कविता के लिये बधाई !
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