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(स्कूल ड्रेस मे वह बच्चा जिसका ब्लॉग आप पढ़ रहे हैं ) |
आज शिक्षक दिवस है। पीछे लौटकर बीते दिनों को देखता हूँ, याद करता हूँ तो मन होता है कि उन दिनों मे फिर से लौट जाऊँ। मैने पहले भी यहाँ एक बार ज़िक्र किया था कि पापा को देख कर मैंने थोड़ा बहुत लिखना सीखा है;स्कूलिंग शुरू हुई श्री एम एम शैरी स्कूल कमला नगर आगरा से जहां क्लास नर्सरी से हाईस्कूल तक( लगभग 5 वर्ष की आयु से 16 वर्ष की आयु तक ) पढ़ाई की। मुझे अभी भी चतुर्वेदी मैडम याद हैं जो 5th क्लास तक मेरी क्लास टीचर भी रहीं थीं और मेरे से विशेष स्नेह भी रखती थीं। वहाँ की वाइस प्रिन्सिपल श्रीवास्तव मैडम और जौहरी मैडम मैडम को भी मैं कभी नहीं भूल पाऊँगा। श्रीवास्तव मैडम और जौहरी मैडम के नाम मुझे अभी भी नहीं मालूम बस सरनेम याद है। श्रीवास्तव मैडम हिन्दी पढ़ाती थीं और जौहरी मैडम इंग्लिश बहुत अच्छा पढ़ाती थी। मैं पढ़ाई मे शुरू मे ठीक था फिर बाद मे लुढ़कता चला गया लेकिन फिर भी चतुर्वेदी मैडम,श्रीवास्तव मैडम और जौहरी मैडम को मेरे से और मुझे उन से खासा लगाव था। जौहरी मैडम को ये पता चल गया था कि मैं लिखता हूँ बल्कि मैंने ही उनको अपनी कोई कविता कौपी के पन्ने पर लिख कर दिखाई थी तो उन्होने सलाह दी थी कि यशवन्त अपनी कविताओं को इस तरह पन्नों पर नहीं बल्कि किसी कौपी या डायरी मे एक जगह लिखा करो ऐसे खो सकते हैं (और अब तो यह ब्लॉग ही है सब कुछ सहेज कर रखने के लिये)। पूरी क्लास (लगभग 40-50 बच्चों के सामने) मे उन्होने जो शब्द मेरे लिए कहे थे वो अब तक याद हैं "यह लड़का एक दिन कायस्थों का नाम रोशन करेगा " शायद यह बात 6th या 7 th क्लास की होगी। पता नहीं कितना नाम रोशन करूंगा या नहीं पर उनका आशीर्वाद अब इतने सालों बाद भी मुझे याद है । इन्हीं जौहरी मैडम ने मुझे स्कूल ड्रेस की टाई बांधना सिखाई थी जो अब भी नहीं भूला हूँ और टाई बहुत अच्छी तरह से बांध लेता हूँ।
अक्सर सपनों मे मैं अब भी खुद को अपने स्कूल (एम एम शैरी स्कूल को मैं अपना स्कूल ही समझता हूँ) की किसी क्लास मे बैठा पाता हूँ जहां जौहरी मैडम ,श्रीवास्तव मैडम और चतुर्वेदी मैडम पढ़ा रही होती हैं। लगभग 11 साल उस स्कूल को छोड़े हुए हो गए हैं और बहुत सी तमाम बातें मुझे अब भी याद हैं। बहुत सी शरारतें,क्लास्मेट्स से लड़ना ,स्कूल का मैदान और उस मे लगे कटीले तार जिन्हें दौड़ कर फाँदना बहुत अच्छा लगता था और अक्सर चोट भी खाई थी। वर्ष 1988 मे पापा ने मेरा एडमिशन उस स्कूल मे इसलिए करवाया था क्योंकि वह घर से बहुत पास था। वह स्कूल अब भी वहीं है पर शायद सभी टीचर्स बदल गए हैं और बच्चे तो बदलेंगे ही जिनमे से एक मैं (अब 28 साल का बच्चा) उस शहर से बहुत दूर ,उस स्कूल से बहुत दूर उन टीचर्स से बहुत दूर हो चुका हूँ। लेकिन अपनी इन सब से पसंदीदा टीचर्स को मैं कभी नहीं भूल पाऊँगा।
स्कूली जीवन से जुड़ी यादों का सुंदर संस्मरण......शुभकामनायें
ReplyDeleteजीवन में ऐसे ही कुछ लोग अपनी ऐसी छाप अंकित कर जाते हैं कि जीवन भर याद रहते हैं...अच्छा लगा पढ़कर.
ReplyDeleteशिक्षक दिवस की शुभकामनाएँ और सर्वपल्ली डॉ. राधाकृष्णन जी को नमन!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर लेख बधाई बचपन में पहुँचाने के लिए
ReplyDeleteआशा
happy teachers day !!!
ReplyDeletenice read..
those memories are immortal :)
गुरुजनों को सादर प्रणाम ||
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति पर
हार्दिक बधाई ||
बहुत ही अच्छी प्रस्तुति बचपन की गलियों में एक बार फिर हो आये ...शुभकामनाएं ।
ReplyDeleteसुन्दर यादें।
ReplyDeleteशिक्षक दिवस की शुभकामनायें.
शिक्षक दिवस के अवसर पर सुन्दर संस्मरण!
ReplyDeletehappy teacher's day..nice memory:)
ReplyDeleteयशवंत जी, हो सकता है आपकी कोई शिक्षिका भी यह ब्लॉग पढ़ रही हों, उन्हें बहुत गर्व महसूस हो रहा होगा..सुंदर व रोचक पोस्ट !
ReplyDeleteसुन्दर अभिव्यक्ति बधाई
ReplyDeleteशिक्षक दिवस की बधाइयाँ
सुनहरी यादें...
ReplyDeleteशिक्षक दिवस की शुभकामनायें....
Happy Teacher's dya Yashwant ji... n aap to bachpan se hi bahut disciplined rahe hain...
ReplyDeleten sure aapke teachers ko aap par naz hoga... n dekhiye aaj paki teacher ki baat sach ho gai...
n thank you so much ek baar fir se school le jane ke liye... :)
सुन्दर संस्मरण ......शिक्षक दिवस की शुभकामनाएँ
ReplyDeleteअच्छे शिक्षक हमेशा याद रहते हैं!
ReplyDeleteबहुत ही रोचक संस्मरण, मुझे भी स्कूली दिन याद आ गए, सचमुच स्कूल और टीचर्स का हमारे व्यक्तित्व निर्माण में बड़ा योगदान होता है....ये लेख सबको अपने बचपन में ले जाता है....अद्भुत.....
ReplyDeleteशिक्षक दिवस की शुभकामनायें !
ReplyDeleteस्कूल के शिक्षक हर किसी के जीवन में महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं ... पर मैं आपके लिए दुआ करूँगा कि आप केवल "कायस्थों" का नहीं बल्कि पूरे देश का नाम रोशन करें ...
बहुत ही रोचक संस्मरण, मुझे भी स्कूली दिन याद आ गए, सचमुच स्कूल और टीचर्स का हमारे व्यक्तित्व निर्माण में बड़ा योगदान होता है....ये लेख सबको अपने बचपन में ले जाता है....अद्भुत.....
ReplyDeleteमधुर यादें बचपन की ...अच्छा लगा पढ़कर..
ReplyDeleteपहली कक्षा की शिक्षिका--
ReplyDeleteमाँ के श्रम सा श्रम वो करती |
अवगुण मेट गुणों को भरती |
टीचर का एहसान बहुत है --
उनसे यह जिंदगी संवरती ||
माँ का बच्चा हरदम अच्छा,
झूठा बच्चा फिर भी सच्चा |
ठोक-पीट कर या समझाकर-
बना दे टीचर सच्चा-बच्चा ||
लगा बाँधने अपना कच्छा
कक्षा दो में पहुंचा बच्चा |
शैतानी में पारन्गत हो
टीचर को दे जाता गच्चा ||
बहुत सुंदर यादें... बहुत सुंदर
ReplyDeleteshikshak diwas ka suawasar par bahut badiya sansmaran prastuti ..
ReplyDeleteshikshak diwas kee aapko bhi bahut bahut haardik shubhkamnayen..
छात्र जीवन की यादें कोई नहीं भूलता न ही भूलनी चाहिए.सुन्दर संस्मरण.
ReplyDeleteस्कूल के दिन होते ही इतने खूबसूरत हैं ,जो भूलाए नहीं जासकते....
ReplyDeleteशिक्षक दिवस की शुभकामनायें !
गुरुर् ब्रह्मा गुरु विश्णु: गुरुर् देवो महेश्वर: I
गुरुर् सक्षात् परब्रह्म: तस्मै श्री गुरवे नम: II..
बहुत अच्छा संस्मरण
ReplyDeleteअच्छी यादें...आपको भी शिक्षक दिवस की हार्दिक शुभकामनायें।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर संस्मरण .... मुझे लगता है कि शायद ऐसे ही कोई विद्यार्थी मुझे भी याद करता होगा :):)
ReplyDeleteप्यारी आपकी स्कूल की यादें और क्यूट फोटो ....
ReplyDeleteसंस्मरण अच्छा है आपका..........फुल्टू लल्लू लग रहो हो फोटो में :-)
ReplyDeleteबहुत सुन्दर संस्मरण यशवंत जी ! आपने आगरा में शिक्षा पाई है यह तथ्य और प्रीतिकर लगा ! बचपन के शिक्षक और मित्र सदैव मन पर अमिट छाप छोडते हैं ! खूबसूरत आलेख के लिये आभार !
ReplyDeleteआप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद!
ReplyDeleteजीवन भर याद रहते हैं कुछ टीचर ... और याद आते हैं हमेशा ...
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