वो* रो रही है
इसलिए नहीं कि
वक़्त के ज़ख़्मों से
आहत हो चुकी है
इसलिए नहीं कि
लग रहा है प्रश्न चिह्न
उसके अस्तित्व पर
इसलिए नहीं कि
अपमान के कड़वे घूंट
उसे रोज़ पीने पड़ते हैं
इसलिए नहीं
कि वो घुट रही है
मन ही मन मे
वो रो रही है
इसलिए कि उसके अपने
खो चुके हैं ;खो रहे हैं
अपनापन
वो रो रही है
इसलिए कि उसकी सौतन**
पा रही है प्यार
उससे ज़्यादा
उसे शिकवा नहीं
किसी अपने से
उसे गिला नहीं
किसी पराये से
पर फिर भी वो रो रही है
रोती जा रही है
बदलती सोच पर
जो छीन ले रही है
उससे उसके अपनों का साथ
काश! कोई उसको
उसके मन को
समझने की कोशिश तो करता
वो तलाश मे है
किसी अपने की
जो उससे कहता
तुम मेरी हो
हमेशा के लिए।
----------------
आशय -
*हिन्दी
**अंग्रेजी
----------
इसलिए नहीं कि
वक़्त के ज़ख़्मों से
आहत हो चुकी है
इसलिए नहीं कि
लग रहा है प्रश्न चिह्न
उसके अस्तित्व पर
इसलिए नहीं कि
अपमान के कड़वे घूंट
उसे रोज़ पीने पड़ते हैं
इसलिए नहीं
कि वो घुट रही है
मन ही मन मे
वो रो रही है
इसलिए कि उसके अपने
खो चुके हैं ;खो रहे हैं
अपनापन
वो रो रही है
इसलिए कि उसकी सौतन**
पा रही है प्यार
उससे ज़्यादा
उसे शिकवा नहीं
किसी अपने से
उसे गिला नहीं
किसी पराये से
पर फिर भी वो रो रही है
रोती जा रही है
बदलती सोच पर
जो छीन ले रही है
उससे उसके अपनों का साथ
काश! कोई उसको
उसके मन को
समझने की कोशिश तो करता
वो तलाश मे है
किसी अपने की
जो उससे कहता
तुम मेरी हो
हमेशा के लिए।
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आशय -
*हिन्दी
**अंग्रेजी
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बेहतरीन रचना .... नए बिम्ब को आधार बना भाषा की स्थिति पर सटीक प्रस्तुति.....
ReplyDeleteसुभानाल्लाह.......क्या बिम्ब इस्तेमाल किये हैं ........बहुत खूब ..........सुन्दर और शानदार लगी पोस्ट|
ReplyDeleteहिन्दी दिवस की शुभकामनाओं के साथ ...
ReplyDeleteइसकी प्रगति पथ के लिये रचनाओं का जन्म होता रहे ...
आभार ।
खूबसूरत बिम्ब से हिंदी के दर्द को बयाँ किया है ..सुन्दर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteहिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनायें !बहुत अच्छी प्रस्तुति है हिंदी भाषा तो लुप्त ही हो जायेगी यदि एसा ही हाल रहा तो !
ReplyDeleteहिंदी दिवस पर सही व्यंंग लिखा है ... देश की हालात ऐसी ही है आजकल ...
ReplyDeleteआपको हिंदी दिवस की शुभकामनाएं ...
आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल कल 15 -09 - 2011 को यहाँ भी है
ReplyDelete...नयी पुरानी हलचल में ... आईनों के शहर का वो शख्स था
सिन्दर रचना!
ReplyDelete--
निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल।
बिन निज भाषा ज्ञान के, मिटत न हिय को शूल।।
--
हिन्दी दिवस की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!
हिंदी है हम वतन हैं, हिंदोस्तां हमारा..
ReplyDeleteबहुत बढिया
क्या कहने
बेहतरीन रचना.......यशवंत भाई
ReplyDeleteहिन्दी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ।
जय हिंद जय हिंदी राष्ट्र भाषा
बहुत अच्छा लिखा है .... शुभकामनायें !
ReplyDeleteबहुत सुन्दरता से हिन्दी भाषा के दर्द को उजागर किया.. सुन्दर... शुभकामनायें !
ReplyDeleteबहुत ही प्रभावशाली रचना....
ReplyDeleteहिन्दी की दशा पर कटाक्ष करती शानदार रचना...
ReplyDeleteहिंदी दिवस की ढेर सारी शुभकामनाएँ... आज हिंदी भाषा की स्थिति सचमुच ऐसी ही है... बहुत अच्छी रचना...
ReplyDeleteअनुपम
ReplyDeleteसही ,सटीक और सार्थक रचना ..
ReplyDeleteबेहतरीन
ReplyDeletebehtreen abhivaykti....
ReplyDeleteहिन्दी की आज की स्थिति पर शानदार प्रस्तुति | सुन्दर रचना |
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग में भी पधारें-
**मेरी कविता**हिन्दी की आज की स्थिति पर शानदार प्रस्तुति | सुन्दर रचना |
मेरे ब्लॉग में भी पधारें-
**मेरी कविता**
हिंदी कि वर्तमान दशा .... उपजी पीड़ा ..का मानवीकरण अति भावपूर्ण कब्यांजलि एवं प्रेरणादायी सन्देश युक्त आह्वाहन ..शुभकामनायें यशवंत जी ...सादर अभिनन्दन !!!
ReplyDeleteहे प्रभु पहले लगा कि कोई सचमुच रो रही है। क्या खूबसूरती से आपने बताया की हिंदी की क्या दुर्दशा हो रही है। सही है चाहे जिसको चाहो माँ कहो पर अपनी माँ को तो आँटी मत कहो।...:)
ReplyDeleteवाह क्या बात है यशवंतजी कितनी गहरी बात कह दी आपने /सच अपनों का साथ और अपनों की बहुत जरुरत होती है सबको/ हमारी हिंदी भाषा को भी अपनों ने ही छोड़ दिया /बहुत बधाई आपको इतनी अनोखी रचना के लिए /मेरे ब्लॉग पर आने का शुक्रियां /आशा है आगे भी आपका आशीर्वाद मेरी रचनाओं को मिलता रहेगा /
ReplyDeleteप्रभावशाली प्रस्तुति
ReplyDeleteham sab uske apne hain jo use apne apnepan se sarabor kiye rahenge.
ReplyDeletesunder bimbo se saji khoobsurat rachna.
एकदम से चौंका ही दिया.कुछ और ही भाव पैदा हो रहे थे ,आशय पढ़ कर दृश्य ही बदल गये.कलम का जादुई चमत्कार .
ReplyDeleteजब तक हम जैसे लोग इस दुनियाँ में हैं उसे रोने नहीं देंगे.
beautifully written... I really love the way of ur expression !!!
ReplyDeleteयहाँ आने का वक्त आज मिला...रोते हुए उसे देखा आपने लेकिन मैंने उसे रोते रोते हँसते भी देखा जब विदेशी लोग दीवानगी की हद तक उसे मुहब्बत करते हैं तो वह रोते रोते हँस पड़ती है...
ReplyDeleteआप सभी का तहे दिल से धन्यवाद!
ReplyDeletevery good.
ReplyDeleteदिवस विशेष पर बेहतरीन रचना...
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